दरअसल रोज सुबह आप जो अखबार पढ़ते हैं, वह अखबार एक लंबी प्रक्रिया के बाद आप तक पहुंचता है और इसी लंबी प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण काम है छपाई का। यह छपाई कई तरह घातक केमिकल्स जैसे डाई आइसोब्यूटाइल फटालेट, डाइएन आईसोब्यूटाइलेट से तैयार स्याही से की जाती है। इसके अलावा स्याही में रंगों के लिए भी कई केमिकल मिलाए जाते हैं, जिसमें जैसे घातक रसायन होते हैं, जो शरीर में कैंसर जैसे घातक रोग तो पैदा करता ही है, इसके अलावा बच्चों में बौद्धिक विकास भी रोक देता है।
हालांकि ये दावे भी किए जाते हैं कि अखबार पर ठंडी चीजे खाने से कुछ नुकसान नहीं होता है, लेकिन ज्यादातर लोग नाश्ते में गरमा गर्म पकवान ही खाना पसंद करते हैं। ऐसे अखबार पर लगे इन रसायनों के बायोएक्टिव सक्रिय हो जाते हैं, जो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। इस संबंध में देश में खाद्य पदार्थों के मानकों की निगरानी करने वाली संस्था FSSAI भी बहुत पहले ही एडवाइजरी जारी कर चुका है, जिसमें साफ तौर पर न्यूज पेपर पर खाद्य सामग्री का उपयोग नहीं करने की सलाह दी गई थी।
सिर्फ दुकानों पर ही नहीं, बल्कि घरों में भी अक्सर हम देखते हैं कि खाना पैक करने के लिए अखबार का उपयोग करते हैं। जबकि न्यूजपेपर के स्थान पर साफ सफेद कागज, एल्युमिनियम फाइल का इस्तेमाल करना ज्यादा बेहतर होता है।