रायपुर। प्रदेश के शासकीय अनुदान प्राप्त स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए सरकार ने राहतभरी कई घोषणाएं की हैं। शिक्षामंत्री केदार कश्यप की पहल पर अनुदान प्राप्त शिक्षकों की छह में से चार मांगों पर मुख्यमंत्री की सहमति मिल गई है। मंगलवार को कैबिनेट की बैठक के बाद शिक्षामंत्री ने मुख्यमंत्री से इस बारे में चर्चा की थी। चुनावी साल को देखते हुए सरकार किसी को नाराज नहीं करना चाहती।
अनुदान प्राप्त शिक्षकों की मांगें लंबे समय से अटकी हुई थीं, जिसे अब पूरा किया जा रहा है। प्रदेश में सरकारी अनुदान प्राप्त करीब 6 सौ स्कूल हैं। इनमें लगभग 2 हजार शिक्षक कार्यरत हैं। इन स्कूलों में भी शिक्षाकर्मियों की भर्ती की जाती है लेकिन यहां शिक्षाकर्मियों को नियमित नहीं किया जा रहा था।
अब शिक्षा विभाग ने निर्णय लिया है कि सरकारी स्कूलों की तरह अनुदान प्राप्त शालाओं में भी 8 साल की सेवा पूरी कर चुके शिक्षाकर्मियों को नियमितीकरण का लाभ दिया जाए तथा शिक्षाकर्मियों के समान वेतन दिया जाए। इन स्कूलों के रिटायर शिक्षकों को समस्त उपादेय का भुगतान भी तत्काल करने को कहा गया है।
अनुदान प्राप्त शालाओं में पदस्थ प्रयोगशाला सहायकों की मांग थी कि उन्हें सहायक शिक्षक विज्ञान का पदनाम दिया जाए। सरकार ने उनकी यह मांग मान ली है। इसमें कोई वित्तीय भार नहीं पड़ेगा इसलिए यह मांग आसानी से पूरी हो गई। अनुदान प्राप्त शिक्षकों की सातवें वेतनमान की मांग पर अभी सहमति नहीं बनी है लेकिन उन्हें छठवें वेतनमान का लाभ मिलेगा।
सीपीएफ पर निर्णय नहीं
सरकारी कर्मचारियों को भविष्य निधि के तहत जीपीएफ का लाभ मिलता है जबकि अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों के लिए सीपीएफ का प्रावधान है। उनकी मांग थी कि भविष्य निधि खातों का संचालन जीपीएफ की तर्ज पर सरकारी एजेंसी करे। सीपीएफ पर ब्याज भी कम मिलता है। इसे भी जीपीएफ के बराबर करने की मांग की गई थी। इस मांग पर सरकार सैद्धांतिक रूप से सहमत है लेकिन अभी निर्णय नहीं लिया गया है।