ग्वालियर। राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया अब केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री बन गए हैं। बुधवार शाम मोदी मंत्रिमंडल के सदस्य के तौर पर सिंधियाने शपथ ग्रहण की। सिंधिया की शपथ के साथ ही एक चर्चा का दौर भी शुरू हो गया वो ये कि वे अब अपने पुराने पते 27 सफदरजंग में जल्दी शिफ्ट होंगे जहां उनके बचपन की यादें मौजूद हैं। दरअसल इन चर्चाओं को बल मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के इस्तीफे के कारण मिला जिनके पास वर्तमान में ये बंगला है।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिराकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्री हैं। बुधवार को सिंधिया ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। हालाँकि ये पहले से ही तय था कि मोदी मंत्रिमंडल में सिंधिया को जगह अवश्य मिलेगी लेकिन कोरोना के चलते मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देरी ने चर्चाओं का बाजार गर्म कर रखा था।
गौरतलब है कि कांग्रेस में रहते हुए जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार को गिराया था और भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की थी ये तभी स्पष्ट हो गया था कि सिंधिया को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। ख़बरें चलीं कि सिंधिया और भाजपा हाईकमान के बीच एक एग्रीमेंट हुआ है जिसके हिसाब से मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थकों को जगह मिलेगी, वहां उनका दखल रहेगा, सिंध्या को भाजपा राज्यसभा भेजेगी और केंद्र सरकार में मंत्री पद देगी। हालाँकि ऐसे किसी भी तरह के किसी भी एग्रीमेंट की बात को ना सिर्फ सिंधिया ने दरकिनार किया बल्कि भाजपा ने भी इससे इंकार किया।
लेकिन यदि सिंधिया और भाजपा के बीच हुए कथित एग्रीमेंट पर नजर डालें तो जो ख़बरें चलीं उसी हिसाब से भाजप फैसले ले रही है। मध्यप्रदेश में सिंधिया समर्थकों को मंत्री बनाया गया, फिर सिंधिया को मप्र भाजपा के कोटे से राज्यसभा भेजा गया और अब उन्हें केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी दी गई।
इन सब बातों को देखकर लगता है कि सिंधिया जल्दी ही अपने पुराने पते पर लौट आएंगे। वे 27 सफदरजंग रोड के उसी बंगले की मांग सरकार से करेंगी जिस बंगले में उनके बचपन की यादें हैं, जहाँ वे अपने पिता स्वर्गीय माधव राव सिंधिया के साथ रहते थे। ये इसलिए भी संभव है क्योंकि 27 सफदरजंग रोड बंगला अभी मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के नाम पर अलॉट है जिनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल बुधवार को इस्तीफा ले लिया और अब रमेश पोखरियाल निशंक सरकार का हिस्सा नहीं हैं इसलिए उन्हें ये बंगला खाली करना होगा।
ज्योतिरादित्य सिंधिया का 27 सफदरजंग रोड वाले बंगले से बहुत पुराना और भावनात्मक रिश्ता है वे मात्र 13 साल की उम्र में इस बंगले में उस समय रहने आये थे जब ये बंगला उनके पिता स्वर्गीय माधव राव सिंधिया को अलॉट किया गया था। राजीव गाँधी सरकार में माधव राव सिंधिया के कैबिनेट मंत्री बनाने पर 1986 में उन्हें 27 सफदरजंग रोड बंगला दिया गया था लेकिन 2001 में उनके निधन के बाद ये बंगला ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम अलॉट हो गया। 2019 में गुना संसदीय सीट से चुनाव हरने तक सिंधिया इस बंगले में रहे फिर उन्होंने ये बंगला भारी मन से खाली कर दिया। बताया जाता है कि सिंधिया की यादों में ये बंगला बस हुआ है और उनकी डिमांड बभी सी बंगले की है, उम्मीद की जा सकती है कि जैसे सिंधिया की भाजपा तबज्जो दे रही है, जल्दी ही सिंधिया लुटियन जोंस का लाखों रुपये किराये का बंगला खली कर अपने पुराने पते 27 सफदरजंग रोड में शिफ्ट हो जायेंगे।