अभाविप ने मनाई वीरांगना लक्ष्मीबाई की जयंती
कटनी। मां भारती की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाली, अप्रतिम शौर्य, अदम्य साहस और पराक्रम की प्रतीक, महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की 195 वी जयंती पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कटनी द्वारा रानी लक्ष्मीबाई चौक में माल्यार्पण एवं संगोष्ठी का कार्यक्रम किया गया। जिसमे मुख्य रूप से नगर अध्यक्ष श्रीकांत शुक्ला, नगर उपाध्यक्ष अनिल गर्ग एवं विद्यार्थी परिषद के सभी कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही।
जिला संयोजक सीमांत दुबे ने बताया कि सात वर्ष की अवस्था में ही मनु का विवाह झाँसी महाराजा गंगाधरराव से हो गया।विवाह बाद वे लक्ष्मीबाई कहलायीं। उनका वैवाहिक जीवन सुखद नहीं रहा.वह१८वर्ष की ही थीं,तब पति राजा का देहान्त हो गया ।तब तक वे निःसन्तान भी थी।युवावस्था मे ही रानी विधवा हो गयीं।तब अंग्रेज शासक ऐसी बिना वारिस की जागीरों,राज्यों को अपने कब्जे में कर लेते थे। इसलिये राजा गंगाधरराव ने मृत्यु से पूर्व ब्रिटिश शासन तथा अपने राज्य के प्रमुख लोगों के सम्मुख दामोदर राव को दत्तक पुत्र स्वीकार कर लिया, पर राजाजी की मृत्यु बाद अंग्रेजों की लार टपकने लगी। उन्होंने दामोदर राव को मान्यता देने से मनाकर झाँसी राज्य को ब्रिटिश शासन में मिलाने की घोषणा कर दी।यह सुनते ही लक्ष्मीबाई सिंहनी के समान गरज उठी – मैं अपनी झाँसी नहीं दूँगी , ऐसा आवाहन किया !