न्यूयॉर्क। सोमवार को दुनिया अद्भुत खगोलीय घटना की साक्षी बनेगी। इस साल का पहला पूर्ण सूर्यग्रहण होगा। अमेरिकी महाद्वीप में 99 साल बाद पूरे देश में पूर्ण सूर्यग्रहण दिखाई देगा, जो यहां के 14 राज्यों से गुजरेगा। यही नहीं यह पूरे अमेरिका से तिरछा गुजरेगा। यहां नासा समेत सभी देशवासियों में बहुत उत्सुकता है। इससे पहले इस तरह का सूर्यग्रहण अमेरिका में वर्ष 1918 में दिखाई दिया था।
मालूम हो, साल 2017 का पहला सूर्यग्रहण 26 फरवरी को पड़ा था। इससे दो सप्ताह पहले साल का पहला चंद्रग्रहण था। हाल ही में रक्षाबंधन के दिन खंडग्रास चंद्रग्रहण था। साल 2018 में तीन आंशिक सूर्यग्रहण और दो पूर्ण चंद्रग्रहण होंगे।
सूर्य और पृथ्वी के बीच जब चंद्रमा आ जाता है, तब सूर्यग्रहण होता है। ग्रहण अवधि ग्रहण करीब 5 घंटे 18 मिनट तक रहेगा, जबकि पूर्ण सूर्यग्रहण की अवधि 3 घंटे और 13 मिनट तक रहेगी।
भारत में नहीं दिखेगा
भारतीय समय के मुताबिक 21 अगस्त को ग्रहण रात में 9.15 बजे शुरू होगा और रात 2.34 बजे खत्म होगा। इस समय भारत में रात होती है। ऐसे में यहां सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा। हालांकि, भारत में इसे नासा की वेबसाइट के जरिए देखा जा सकेगा। नासा सूर्य ग्रहण का लाइव प्रसारण करेगा।
खास बातें
यह सूर्य ग्रहण प्रशांत महासागर, उत्तरी-दक्षिणी अमेरिका के कुछ हिस्से, यूरोप के पश्चिमी-उत्तरी हिस्से, पूर्वी एशिया, उत्तर-पश्चिमी अफ्रीका आदि क्षेत्रों में दिखाई देगा।
यही नहीं, करीब 10 से ज्यादा स्पेसक्राफ्ट, 3 एयरक्राफ्ट और 50 से ज्यादा एयर बैलून लगाए जा रहे हैं। सीबीएस न्यूज के अनुसार विमान की नोज में विशेष कैमरे फिट किए गए हैं। इससे ये ग्रहण के दौरान सूर्य व उसके आसपास के क्षेत्र की तस्वीरें ले सकेंगे।
नासा अमेरिकी समयानुसार सोमवार दोपहर 2.30 बजे से इन तस्वीरों को टीवी पर दिखाएगा। माना जा रहा है कि ग्रहण के दौरान आसमान में धरती की तुलना में 20 से 30 गुना कम रोशनी होगी।
सूर्यग्रहण के दौरान सौर भौतिक विज्ञानियों सूर्य के धब्बों की हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें खींचेंगे। ये धब्बे सूर्य की सतह पर दिखने वाले चुंबकीय क्षेत्र का घनत्व होता है, जो माइक्रोवेव रेडियो वेवलेंथ पर नजर आते हैं।
सौर धब्बों के कारण ही सूर्य दहकता हुआ नजर आता है। न्यूजर्सी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर डेल गेरी के मुताबिक, सूर्य के कोरोना से निकलने वाली रेडियो तरंगों का तरंगदैर्ध्य लंबा होता है। चूंकि रेजोल्यूशन मुख्यतः तरंगदैर्ध्य पर ही निर्भर होता है, इसलिए सूर्य की तस्वीरें खींचने पर कम रेजोल्यूशन वाली तस्वीरें मिलती हैं।