Ramnavami आज चैत्र नवरात्र की अंतिम तिथि नवमी है। इसी दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। श्रीराम का जन्म दोपहर में हुआ था। उस समय कर्क लग्न और अभिजीत मुहूर्त था। भगवान के जन्म के समय सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र और शनि का विशेष योग बना था। इस साल भी इन ग्रहों का शुभ योग बन रहा है।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक जब श्रीराम का जन्म हुआ, उस समय सूर्य, मंगल, गुरु, शुक्र और शनि अपनी-अपनी उच्च राशि में थे। इस वजह से हर साल राम नवमी पर इन 5 ग्रहों की स्थिति महत्वपूर्ण होती है। 21 अप्रैल को सूर्य, बुध और शुक्र ये तीनों एक साथ मेष राशि में रहेंगे। गुरु, कुंभ में और शनि मकर राशि में रहेगा। इन 5 ग्रहों के योग की वजह से राम नवमी शुभ फल देने वाली रहेगी। ये दिन पूजा-पाठ और खरीदारी के बहुत शुभ माना गया है। अभी कोरोना महामारी की वजह से श्रीराम के मंदिर नहीं जा सकते हैं तो अपने घर पर ही सरल स्टेप्स में राम पूजन किया जा सकता है।
राम नवमी पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
सुबह 6.12 से 7.45 बजे तक
सुबह 10.32 से दोपहर 12.14 बजे तक
शाम 4.35 से 6.45 बजे तक
राम पूजा के 10 सरल स्टेप्स
इस दिन राम दरबार यानी श्रीराम, लक्ष्मण और सीता के साथ हनुमानजी की भी पूजा करें। राम नवमी पर श्रीराम के बाल स्वरूप रामलला के साथ ही पूरे राम दरबार की पूजा की जा सकती है। पूजा में श्रीरामचंद्राय नम:, श्रीराम, सीताराम आदि मंत्र का जाप किया जा सकता है। इस दिन रामायाण का, सुंदरकांड का पाठ भी कर सकते हैं।
- रामनवमी पर घर की साफ-सफाई करें। स्नान बाद घर के मंदिर में व्रत और पूजन का संकल्प लें।
- घर और मंदिर को वंदनवार, रंगोली, फूलों से सजाएं।
- रामनवमी पर श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और हनुमानजी को पानी, रोली और चंदन आदि चीजें चढ़ाएं। जल से अभिषेक करें।
- मूर्तियों पर चावल चढ़ाएं। सुगंधित पूजन सामग्री, फूल आदि चीजें भगवान को चढ़ाएं।
- धूप-दीप जलाएं। मिठाई का भोग लगाएं। कर्पूर जलाकर आरती करें।
- आरती के बाद भगवान से पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के लिए क्षमा याचना करें।
- पूजा के बाद प्रसाद घर में सभी को दें और स्वयं भी ग्रहण करें।
- इस दिन श्रीराम जन्म की कथा भी सुननी चाहिए। जिस समय कथा सुनें, उस समय हाथ में गेंहू, बाजरा या अन्य कोई अन्न के दाने रखें। कथा पूरी होने के बाद इस अनाज में और अनाज मिलाकर जरूरतमंद लोगों को दान करें।
- इस दिन चैत्र नवरात्र खत्म हो रहा है। राम पूजन के साथ ही देवी दुर्गा की भी विधि-विधान से पूजा करें।
- इस दिन कन्या पूजन करने की भी परंपरा है। छोटी कन्याओं को नए वस्त्र, खाने की चीजें, पढ़ाई से जुड़ी चीजें दान करें।