इस पुलिसकर्मी की ड्यूटी में शामिल है डमी सीएम और राज्यपाल बनना

इस पुलिसकर्मी की ड्यूटी में शामिल है डमी सीएम और राज्यपाल बननाभोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरह ही पहनावा, चाल-ढाल और चेहरे पर उनके ही जैसी भाव-भंगिमाएं दिखाते हुए लाल परेड मैदान पर आगे बढ़ना। सधे हुए कदमों से स्वतंत्रता दिवस की परेड के वाहन पर सलीके से सवार होना। हाथ उठाकर जनता का अभिवादन करना।
चुस्ती से परेड को सलामी देना, लेकिन कोई चूक नहीं। न कोई डर न कोई कोर कसर। भले ही वाहन में प्रदेश की पुलिस के मुखिया ही क्यों न खड़े हो? वे अपने काम को पिछले 12 साल से बखूबी अंजाम देते आ रहे है।
जी हां, 7वीं बटालियन के प्रधान आरक्षक रामचंद्र सिंह कुशवाहा पिछले 12 साल से लगातार स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस के पहले पुलिस की फुल ड्रेस रिहर्सल में बतौर मुख्यमंत्री की भूमिका निभाते चले आ रहे हैं। यह भी संयोग है कि वे इतने सालों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ही भूमिका में दिखाई दे रहे हैं। दरअसल, आरक्षक कुशवाहा कुछ घंटों के लिए सीएम की जगह वीआईपी बनते हैं।
स्वतंत्रता या गणतंत्र दिवस की मुख्य परेड के दो दिन पहले पुलिस की फुल ड्रेस परेड में मुख्यमंत्री की जगह एक डमी वीआईपी बनाया जाता है। इसके लिए 7वीं बटालियन के प्रधान आरक्षक रामचंद्र सिंह कुशवाहा बीते 12 साल से अपनी भूमिका पूरी जिम्मेदारी और गंभीरता से निभा रहे हैं।
प्रदेश की मुखिया की भूमिका गर्व का विषय
प्रदेश के मुखिया की इतने सालों से भूमिका निभाते चले आना गर्व का विषय है। डमी सीएम बनना उनके लिए उनकी ड्यूटी है। परेड में गलती की कोई गुंजाइश न रह जाए, इसलिए पहले से तैयारी करता हूं। –रामचंद्र सिंह कुशवाहा, प्रधान आरक्षक
साल में तीन बार बनते हैं डमी वीआईपी
रामचंद्र साल में तीन बार डमी सीएम बनते हैं। 15 अगस्त में सीएम की जगह तो 26 जनवरी को राज्यपाल की जगह। इस तरह 21 अक्टूबर को शहीद दिवस पर राज्यपाल की भूमिका में रहते हैं।
बेटा भी पुलिस में
रामचंद्र की पत्नी सावित्री गृहिणी हैं। उन्होंने अपने इकलौते बेटे इंद्रपाल सिंह (26) को भी पुलिस में ही भर्ती कराया है। वह क्राइम ब्रांच है, जबकि दो बेटियों की शादी कर चुके हैं। अपने पोतों के साथ उन्हें समय बिताना अच्छा लगता है।
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