एंटीबॉडी भी नहीं आ रही काम, दोबारा संक्रमित हो रहे लोग

इंदौर Corona Antibodies Indore। कोराना की दूसरी लहर में कुछ ऐसे लोग भी चपेट में आ रहे है जो पहले संक्रमित हो चुके है। पहले संक्रमण के बाद उनके शरीर में तैयार हुई एंटीबॉडी कोरोना के नए स्ट्रैन को रोकने में कमजोर साबित हो रही है, लेकिन राहत की बात यह है कि दोबारा संक्रमित हो रहे मरीजों के लिए वायरस ज्यादा नुकसानदेह साबित नहीं हो रहा है। प्रतिदिन शहर में 100 नए मामलों में 5 से 10 केस दोबारा संक्रमितों के आ रहे है। एक रेड श्रेणी अस्पताल में तो 15 दिन के बाद ही संक्रमित हुए रोगी को भर्ती करना पड़ा। छह माह के पहले दोबारा हुआ संक्रमण डाक्टरों को भी चौका रहा है। उनका कहना है कि एक बार संक्रमण होने पर शरीर में उस वायरस से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है। वायरस के नए वैरिएंट से लड़ने में कुछ रोगियों में एंटीबॉडी भी नाकाम साबित हो रही है।

एक बार संक्रमित होने के बाद शहरी में एंटीबॉडी बन जाती है, जो चार से छह माह तक शरीर में सक्रिय रहकर दोबारा वायरस के हमले को रोकती है, लेकिन शहर में चार माह से पहले ही दोबारा संक्रमित होने के मामले सामने आ रहे है। प्रतिदिन सैकड़ों जांच कर रही एक लैब के अनुराग सोड़ानी के अनुसार प्रतिदिन 5 से 8 मामले दोबारा संक्रमण के जांच में आ रहे है। एक अन्य लैब की कर्ता-धर्ता विनिता कोठारी ने भी दोबारा संक्रमण के मामले सामने आने की पुष्टि की है।

दोबारा संक्रमण हो तो घबराए नहीं
– शरीर में एंटीबॉडी तय समय और विशेष प्रकार के लिए बनती है और कोरोना वायरस अपने स्वरुप बदल रहा है। हर बार नई एंटीबॉडी ही लड़ने में काम आती है।
– पुरानी एंटीबॉडी भी कोरोना के असर को कमजोर करने में मददगार साबित हो रही है। ऐसे में दूसरी बार का कोरोना ज्यादा नुकसानदेह साबित नहीं हो रहा है।
– जिन लोगों को टीका लग चुका है, उनमें तैयार हो चुकी एंटीबॉडी भी संक्रमण के असर को कम कर रही है।
एक बार संक्रमित हो चुके लोग यह न समझे कि उन्हें कोरोना नहीं होगा, वे मास्क पहले और शारीरिक दूरी का पालन करे। वीपी पांडे, विभागाध्यक्ष, मेडिसीन, मेडिकल कॉलेज

 

दोबारा आए है कुछ रोग
अस्पताल में कुछ रोगी दोबारा कोरोना संक्रमण का शिकार होकर अस्पताल में भर्ती हुए है। गंभीर किस्म की बीमारी होने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और उन्हें दोबारा संक्रमण का खतरा ज्यादा है। कुछ रोगी तो छह माह से पहले ही दोबारा संक्रमण का शिकार हुए है। – डॉ रवि डोसी, अरविंदो अस्पताल
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