गर्भवती महिलाओं को इलाज या प्रसव के लिए अस्पताल पहुंचाने सरकारी जननी एक्सप्रेस वाहन चल रहे हैं। जननी एक्सप्रेस नहीं मिलने पर महिलाओं को 108 एंबुलेंस से भेजा जाता है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में जननी एक्सप्रेस पहुंचने में कई बार एक घंटे से भी ज्यादा समय लगता है।
गांव की लोकेशन पता नहीं होने से वाहन सिर्फ मेन रोड तक ही आ पाते हैं। समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने पर जच्चा-बच्चा को खतरा रहता है। लिहाजा एनएचएम ऐसी व्यवस्था करने जा रहा है कि सरकारी वाहन नहीं मिलने पर प्रसूता खुद वाहन कर अस्पताल आ सके। वाहन का किराया प्रति किमी के मान से अस्पताल से नगद मिल जाएगा।
बता दें कि करीब छह साल पहले प्रसूताओं को अस्पताल पहुंचाने के लिए प्रसव परिवहन योजना चलती थी। इसमें किराए के वाहन के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लिए अलग-अलग राशि दी जा रही थी। एनएचएम के एमडी डॉ. संजय गोयल ने इस तरह का प्रस्ताव भेजे जाने की पुष्टि की है।
कई जिलों में सिर्फ 35 फीसदी प्रसूता जननी एक्सप्रेस से आईं
एनएचएम के अधिकारियों ने बताया कि कई जिलों में करीब 35 फीसदी महिलाएं ही जननी एक्सप्रेस से अस्पताल आती हैं। इसकी बड़ी वजह यह कि परिजनों को लगता है जननी एक्सप्रेस या 108 के इंतजार में देरी न हो जाए।