मध्य प्रदेश समेत देशभर के निजी और सरकारी आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और यूनानी महाविद्यालयों में शिक्षकों की गुणवत्ता और उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग ने कड़े नियम बना दिए हैं।
अब हर शिक्षक को एक यूनिक कोड दिया जाएगा जो देश भर के सभी शिक्षकों का अलग-अलग होगा। इसका लाभ यह होगा कि एक चिकित्सा शिक्षक दो जगह संकाय सदस्य (फैकेल्टी) के रूप में पंजीकृत नहीं हो सकेगा। शिक्षकों को यूनिक कोड देने का काम राष्ट्रीय आयोग करेगा। आयोग ने इसके लिए आनलाइन शिक्षक प्रबंधन प्रणाली (ओटीएमएस) विकसित की है। यूनिक कोड हासिल करने के लिए संबंधित कालेजों द्वारा ओटीएमएस पर आवेदन करना होगा। आवेदन के एक सप्ताह के भीतर यूनिक कोड जारी कर दिया जाएगा।
शिक्षक का जब एक से दूसरी जगह स्थानांतरण होगा तो यह जानकारी भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग के पोर्टल में दर्ज करनी होगी। बता दें कि भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग और पूर्व में इसकी जगह काम करने वाली संस्था सेंट्रल काउंसिल आफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआइएम) द्वारा निजी कालेजों के निरीक्षण में कुछ जगह सामने आ चुका है कि कुछ निजी कालेज मान्यता के लिए केवल कागजों में ही कुछ फैकेल्टी की नियुक्ति दिखाते हैं। सच्चाई में यह फैकेल्टी दूसरी जगह काम करते रहते हैं। यह भी तय कर दिया गया है कि हर शिक्षक को एक कैलेंडर वर्ष में कुल कार्य दिवसों में से 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होगी।