एमपी पॉलिटिकल ड्रामा / जानिए किसकी गलती से फेल हुआ ‘ऑपरेशन लोटस’
विधायक के गनमैन की गलती से फेल हुआ ‘ऑपरेशन लोटस’
कल रात तक सब कुछ योजनानुसार चल रहा था, लेकिन एक विधायक के गनमैन की गलती से भाजपा का ‘ऑपरेशन लोटस’ फेल हो गया। इस विधायक के गनमैन ने दिल्ली रवाना होते समय एक फोन किया था और इसी फोन से दिल्ली में विधायकों के एकत्रित होने की खबर लीक हो गई। कांग्रेस को ऑपरेशन लोटस फेल करने का वक्त मिल गया। बताया जा रहा है कि दिल्ली में मंगलवार को सत्तापक्ष से जुड़े 12 विधायकों (कांग्रेस व अन्य) को एकत्रित होना था, जिसमें से 11 पहुंच गए। इनकी मुलाकात बुधवार को भाजपा के बड़े नेताओं से होनी थी। इस पूरे पॉलिटिकल ड्रामे में दो संभावनाओं का अनुमान लगाया गया था कि ये 11 विधायक सत्ता से बाहर होते हैं तो राज्यसभा चुनाव से पहले सरकार गिर जाएगी। दिल्ली में दो जगह और बेंगलुरू में एक जगह विधायकों को रुकना था। कर्नाटक में मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र को मप्र के विधायकों को संभालने का जिम्मा सौंपा गया था।
इसके अलावा जयशंकर के भाई करुणेश के घर पर भी कुछ लोग रुके जो आदर्श डेवलपर्स फर्म चलाते हैं। बेंगलुरू के प्रेस्टीज पालम मेडोज में तीन कांग्रेसी और एक निर्दलीय विधायक को रखा गया। भाजपा हाईकमान ने इस ऑपरेशन लोटस में यह शर्त रखी थी कि यह फेल नहीं होना चाहिए, लेकिन कांग्रेस के सक्रिय होने के बाद यह कमजोर हो गया। ऑपरेशन फेल होने के बाद नरोत्तम समेत अन्य नेता तो दिल्ली से रवाना हो गए, लेकिन शिवराज सिंह चौहान को भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दिल्ली बुला लिया। इधर, बताया जा रहा है कि बैंगलुरू से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से फोन पर बात की है। उनका कहना है कि बाकी विधायक गुरुवार को लौट आएंगे।
जोड़-तोड़ की दो बड़ी वजह
- कांग्रेस के पास 121 विधायक हैं। भाजपा के पास 107। इसी महीने राज्यसभा की तीन सीटों की वोटिंग है। इसमें एक सीट के लिए 58 विधायक चाहिए। इस स्थिति में कांग्रेस को दो सीट के लिए अपने विधायकों के अलावा एक अन्य की जरूरत है।
- भाजपा को दूसरी सीट जीतने के लिए नौ विधायकों की आवश्यकता पड़ेगी। दलबदल अधिनियम के अनुसार किसी दल के दो तिहाई सदस्यों के दूसरी पार्टी में शामिल होने या अलग होने पर उनकी सदस्यता बची रहेगी। बसपा के दो विधायक हैं, यदि दोनों अलग-अलग वोट करते हैं तो इसमें पार्टी व्हिप के खिलाफ वोट करने वाले की विधायकी खतरे में पड़ जाएगी। यही स्थित सपा के एक विधायक पर लागू होगी। निर्दलीय कहीं भी वोट करें उनकी सदस्यता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन यदि वह कोई पार्टी ज्वाइन करता है तो दलबदल के तहत कार्रवाई हो सकती है।