नयी दिल्ली, 14 दिसंबर (भाषा) करीब सात दशक बाद टाटा समूह एक बार फिर से एयर इंडिया की ‘उड़ान’ पर सवार होना चाहता है। नमक से लेकर सॉफ्टवेयर क्षेत्र में कार्यरत समूह राष्ट्रीय विमानन कंपनी की बोली प्रक्रिया में शामिल होने की तैयारी है। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए रुचि पत्र (ईओआई) देने की अंतिम तिथि सोमवार है। फिलहाल टाटा समूह दो एयरलाइंस… पूर्ण सेवा प्रदाता विस्तार (सिंगापुर एयरलाइन के साथ सहयोग में) तथा एयर एशिया इंडिया (मलेशिया के एयरलाइंस समूह एयरएशिया के साथ) का परिचालन कर रहा है। पिछले तीन साल के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार एयर इंडिया के निजीकरण का एक प्रयास कर चुकी है। हालांकि, सरकार ने इस साल की शुरुआत एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया फिर शुरू की है। सूत्रों ने कहा कि टाटा संस की एयर इंडिया के अधिग्रहण में रुचि है। वह इसके लिए तय समयसीमा से पहले रुचि पत्र देगा। सूत्रों ने बताया कि टाटा समूह की कंपनियों की होल्डिंग या प्रवर्तक कंपनी ने अभी यह फैसला नहीं किया है कि वह एयर इंडिया के लिए अकेले बोली लगाएगी या किसी के साथ भागीदारी करेगी। इस बारे में संपर्क करने पर टाटा संस के प्रवक्ता ने टिप्प्णी से इनकार किया। एयरएशिया इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील भास्करन को इस बारे में भेजे सवाल पर एयरलाइन के प्रवक्ता ने कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है। प्रवक्ता ने कहा कि हम इसका जवाब नहीं दे सकते। एयर इंडिया के 209 कर्मचारियों के एक समूह ने भी राष्ट्रीय एयरलाइन के लिए बोली लगाई है। एयरलाइन की वाणिज्यिक निदेशक मीनाक्षी मलिक ने यह जानकारी दी। मलिक ने कहा, ‘‘हमने कंपनी में समूची 100 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए सोमवार सुबह बोली जमा कराई है।’’ इससे पहले एयर इंडिया के कर्मचारियों के एक वर्ग ने कहा था कि वे एक निजी इक्विटी कोष के साथ मिलकर एयरलाइन के लिए बोली लगाने की तैयारी कर रहे हैं। बोली के लिए प्रत्येक कर्मचारी से एक लाख रुपये का योगदान करने को कहा गया था। सरकार ने इस साल जनवरी में एयर इंडिया तथा तथा उसकी अंतरराष्ट्रीय किफायती सेवा इकाई एयर इंडिया एक्सप्रेस में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री तथा ग्राउंड हैंडलिंग संयुक्त उद्यम एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लि. में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं।