इंसेफलाइटिस के मरीजों के लिए बने सौ बेड के आईसीयू सहित दूसरे आईसीयू व वार्डों में देर रात से रुक-रुककर ऑक्सीजन सप्लाई ठप होने से 30 मासूमों व अन्य मरीजों ने दम तोड़ दिया। यह सिलसिला रात 11.30 बजे से शुरू हुआ व सुबह नौ बजे तक जारी रहा। लगातार हो रही मौतों से वार्डों में कोहराम मचा हुआ था। चारों तरफ चीख पुकार व अफरा-तफरी का माहौल था।
पहली बार रात आठ बजे इंसेफलाइटिस वार्ड में ऑक्सीजन सिलेंडर से की जा रही सप्लाई ठप हो गई। इसके बाद वार्ड को लिक्विड ऑक्सीजन से जोड़ा गया। यह भी रात 11.30 बजे खत्म हो गया। यह देख वहां तैनात ऑपरेटर के होश उड़ गए। उससे जिम्मेदार अधिकारियों को फोन लगाना शुरू किया, लेकिन किसी से जवाब नहीं दिया। इस बीच रात 1.30 बजे तक सप्लाई ठप रही। वार्ड में भर्ती 50 से अधिक मरीज बेहोशी की हालत में थे। उनकी हालत अचानक बिगड़ने लगी। देर रात सप्लाई हुए सिलेंडर इस बीच रात 1.30 बजे ऑक्सीजन सिलेंडर से लदी गाड़ी आई और आनन-फानन में उनसे ऑक्सीजन सप्लाई की गई।
अभी डॉक्टरों ने राहत की सांस ली थी कि सुबह सात बजे दोबारा ऑक्सीजन खत्म हो गई। कुछ ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम किया गया है, लेकिन वह पूरी तरह नाकाफी है। मरीजों को अंबू बैग से ऑक्सीजन दिया जा रहा है। अभी तक 20 मौतों की सूचना आ रही है, लेकिन यह आंकड़ा इससे काफी अधिक हो सकता है। इंदौर में भी बनी थी ऐसी स्थिति इंदौर के एमवाय अस्पताल में 21 जून की रात एक घंटे 5 मरीजों ने दम तोड़ा था। इस दिन 24 घंटे में अस्पताल में 17 मरीजों की मौत हुई थी। आरोप है कि ऑक्सीजन आपूर्ति में गड़बड़ी की वजह से मरीजों ने दम तोड़ा। हालांकि अस्पताल प्रशासन इन मौतों को सामान्य बता रहा है। मामले में दो अलग-अलग याचिकाएं हाई कोर्ट में दायर की गई हैं।