अपनी पिछली नीति को पटलते हुए भारत सरकार ने निजी और राज्य संस्थाओं को न केवल अपने कर्मचारियों को बल्कि उनके परिवार के आश्रित सदस्यों को भी टीकाकरण करने की अनुमति दी है। राज्यों के लिए ताजा एडवाइजरी शुक्रवार को जारी की गई, जब कंपनियों और उद्योग निकायों ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ इस मुद्दे को उठाया। कंपनियों को शनिवार को इस बारे में सूचित किया गया।
सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए टीकाकरण कार्यक्रम पहले ही तैयार किया हुआ था। शुक्रवार को जारी पत्र में कहा गया था कि स्पष्टीकरण कई सवालों को लेकर है और टीकाकरण प्रक्रिया को ‘आगे तेज’ करने के बारें में था।
अब, सरकार द्वारा परिवार के सदस्यों व आश्रितों को – जैसा कि नियोक्ता द्वारा परिभाषित किया गया है – को औद्योगिक और कार्यस्थल कोविड टीकाकरण केंद्रों (CVC) में कार्यक्रम के तहत कवर करने की अनुमति प्रदान कर दी गई है। इसका मतलब है कि कर्मचारी, पति या पत्नी, उनके बच्चों, माता-पिता, ससुराल वालों और अन्य आश्रितों को उनकी आंतरिक नीतियों में कंपनियों द्वारा जो अनुमति दी गई है, कोविड केंद्रों पर जाकर टीकाकरण कराया जा सकता है।
नियोक्ताओं को उन अस्पतालों से टीके खरीदने की सलाह दी गई है जिनके साथ उन्होंने करार किया हो,
इसके अलावा, सरकारी CVC में, 45 वर्ष या उससे अधिक आयु के लाभार्थियों को केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा आपूर्ति की गई खुराक के माध्यम से मुफ्त टीका लगाया जा सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि 18-44 साल की उम्र के लाभार्थियों को सीधे राज्यों द्वारा खरीदी गई खुराक के माध्यम से कवर किया जा सकता है।
नियोक्ताओं को कर्मचारियों को टीकाकरण की अनुमति देना मई से लागू कार्यक्रम की एक प्रमुख विशेषता थी। वास्तव में, कंपनियां और उद्योग मंडल परिवार के सदस्यों के टीकाकरण पर प्रतिबंध से हैरान थे क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार ने पहले उनके कारखानों या खदानों के आसपास के समुदायों तक पहुंचने के लिए उनसे संपर्क किया था।
एक उद्योग मंडल और उसके सदस्यों ने करीब 50 लाख ऐसे लाभार्थियों की पहचान की है, जो अब टीका लगवाने की उम्मीद कर सकते हैं।