देवास। नोट के लिए इस्तेमाल होने वाला कागज बनाने के लिए अल्ट्रा मॉडर्न पेपर मिल को लेकर देवास और नासिक के बीच खींचतान चल रही है। मामला लोकसभा तक पहुंच गया है। वित्त मंत्रालय की एक टीम नासिक, आंध्र और ओडिशा का दौरा कर चुकी है, लेकिन नोटबंदी में बेहतरीन प्रदर्शन का हवाला देकर देवास बैंक नोट प्रेस ने दावेदारी जताई है। उधर, नासिक की टीम ने दौरा कर यह रिपोर्ट बनाई है
कि मध्यप्रदेश को यह मिल क्यों नहीं मिलना चाहिए। दोनों ही क्षेत्रों के बैंक नोट प्रेस के यूनियन और कर्मचारी, मंत्रियों और सांसदों का समर्थन जुटाकर अपना पक्ष वित्त मंत्रालय तक पहुंचाने में जुट गए हैं। सितंबर आखिरी या अक्टूबर तक इस पर फैसला हो जाएगा।
मैसूर में खुल चुकी ऐसी मिल बैंक नोट प्रेस देवास, नासिक, मैसूर और सालबोनी में है। अब तक 80-90 फीसदी कागज अमेरिका, इंग्लैंड और जर्मनी से आता था। बाकी होशंगाबाद स्थित सिक्योरटी पेपर मिल में छपता था। सरकार ने इसे भारत में ही छापने का फैसला लिया है। सरकार की मंशा है जहां-जहां बैंक नोट प्रेस है, वहां पेपर मिल भी हो। इसके तहत मैसूर में एक पेपर मिल खोली गई। अब एक और मिलखोली जाना है।
आंध्र या ओडिशा को न मिल जाए : वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक देवास और नासिक दोनों ही राजनीतिक जोर भी लगा रहे हैं। इस उलझन में कहीं मिल आंध्र-ओडिशा के समुद्र तटीय किसी शहर में भी जा सकती है। टीम वहां का दौरा कर चुकी है। यहां से नासिक और सालबोनी दोनों लगभग 1000 किमी दूर है।