नई दिल्ली। नागरिकता कानून पर मचे संग्राम के बीच केंद्र के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकारें इसे लागू कराने से इनकार नहीं कर सकती। अधिकारी ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को लागू करने से इनकार करने का अधिकार राज्यों को नहीं है क्योंकि यह कानून संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची के तहत बनाया गया है।
यह बयान तब आया है जब पश्चिम बंगाल, पंजाब, केरल, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने घोषणा की कि यह कानून असंवैधानिक है और उनके संबंधित राज्यों में इसके लिए कोई जगह नहीं है। महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार के मंत्रियों की तरफ से भी इसके विरोध की आवाजें आ रही हैं।
गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि राज्यों को ऐसे किसी भी केंद्रीय कानून को लागू करने से इनकार करने का अधिकार नहीं है जो संघ सूची में है। कुल 97 ऐसे विषय हैं जो सातवीं अनुसूची की संघ सूची में है और उनके तहत रक्षा, विदेश, रेलवे, नागरिकता, जन्म से संबंधित अधिकार आदि आते हैं।
गुरुवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा था कि किसी असंवैधानिक कानून का उनके राज्य में कोई स्थान नहीं है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले से ही इसका विरोध कर रही हैं। उन्होंने कहा था, अपने घोषणापत्र में आपने (भाजपा ने) विकास के बजाय, देश को बांटने का वादा किया है। नागरिकता धर्म के आधार पर क्यों होगी। मैं इसे नहीं स्वीकार करूंगी, आपको चुनौती देती हूं। ये कभी बंगाल में लागू नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि आपने लोकसभा और राज्यसभा से जबरन कानून पारित करवाये क्योंकि आपके पास संख्या बल है। लेकिन हम आपको देश को नहीं बांटने देंगे।
वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार इस कानून को अपने राज्य में लागू नहीं होने देगी। वहीं, कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों भूपेश बघेल और कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस पर जो भी रूख अपनाएगी, उनके राज्य उसे मानेंगे।