केंद्र सरकार ने रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को भारत में संवैधानिक अधिकारी देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने 16 पन्नों का जवाब दाखिल किया। अपने जवाब में केंद्र सरकार ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों को देश में नागरिक की सुविधा देना गैर-कानूनी है। केंद्र का कहना है कि रोहिंग्या मुसलमान आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं। ऐसे में देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनका भारत में रहना सही नहीं है। इसके साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने कहा कि कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए।
वहीं हाल ही में रोहिंग्या मुसलमानों का पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी ने खुलकर समर्थन किया था और केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि रोहिंग्या मुसलमान इंसान हैं न की आतंकवादी और सरकार को इनकी मदद करनी चाहिए। वहीं भारत सरकार द्वारा देश से रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने की कोशिशों की संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख जैद राद अल हुसैन ने कड़े शब्दों में निंदा की थी। हुसैन ने कहा था कि भारत का यह कदम अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के कतई भी अनुरूप नहीं है।