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केरल का एक स्कूल जहां 105 साल पहले दी जाती थी पीरियड्स की छुट्टी
तिरुवनंतपुरम। महिलाओं को उनके पीरियड्स के दौरान छुट्टी देने को लेकर बहस चल रही है। लोगों का अपना-अपना मत इस मुद्दे को लेकर सामने आ रहा है। कई लोग जहां इसे एक सही दिशा और अच्छा कदम मान रहे हैं तो कुछ लोग इसे ‘फालतू का आइडिया’ जैसा भी कह रहे हैं। लेकिन आप शायद ही जानते होंगे कि केरल के एक स्कूल ने 105 साल पहले अपनी छात्राओं को पीरियड्स के दौरान छुट्टी लेने की इजाजत दी थी। शायद यह देश का पहला स्कूल था जिसने पीरियड्स के लिए छुट्टी दी थी।
पूर्ववर्ती कोचीन रजवाड़ा (वर्तमान एर्नाकुलम जिला) में स्थित त्रिपुनिथुरा के सरकारी बालिका विद्यालय ने 1912 में छात्राओं को वार्षिक परीक्षा के समय मासिक धर्म की छुट्टी और परीक्षा बाद में लिखने की अनुमति दी थी।
इतिहासकार पी भास्करानुन्नी की लिखी किताब ‘केरला इन द नाइंटीन्थ सेंचुरी’ के मुताबिक तत्कालीन शिक्षा कानूनों के अनुसार छात्रों के लिए सालाना परीक्षाओं में बैठने के लिए 300 दिन की हाजिरी जरूरी होती है। इसमें कहा गया कि परीक्षाएं नियमित रूप से होती थीं और छात्रों के लिए इसमें शामिल होना जरूरी था। लेकिन यह त्रिपुनिथुरा बालिका स्कूल में एक मुद्दा बन गया जहां छात्राएं और शिक्षिकाएं मासिक धर्म के समय नहीं आती थीं।
हेड मास्टर भास्करानुन्नी नहीं चाहते थे कि इस नैचुरल बायलॉजिक प्रोसेस के कारण बालिकाओं की पढ़ाई में बाधा आए। इसलिए उन्होंने उच्च अधिकारियों से बात की और उनसे छुट्टी मंजूर करने का अनुरोध किया था क्योंकि शिक्षिकाएं और छात्राएं इस समय में सामान्यत: अनुपस्थित रहती थीं। उच्च अधिकारियों ने इसके लिए सहमति दे दी और नई पॉलिसी पेश की। इस शिक्षा