कोरोना को 20 दिनों में दे सकते हैं मात, पटना के डॉक्टर ने लिखा पीएम व सीएम को पत्र, दिए ये सुझाव
कोविड-19 की चेन तोड़ने के लिए अब तक कई रिचर्स सामने आ चुकी है। अब एक नया अध्ययन में सामने आया है
Kill corona देश में कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ते ही जा रहा है। इस महामारी को रोकने कई प्रयास किए जा रहे हैं। कोविड-19 की चेन तोड़ने के लिए अब तक कई रिचर्स सामने आ चुकी है। अब एक नया अध्ययन में सामने आया है कि संक्रमित की जल्द पहचान कर उसे आइसोलेशन में भेजकर कोरोना संक्रमण को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
इसके लिए एंटीजेन व एंटीबाडी किट का एक साथ इस्तेमाल करना होगा। इनके द्वारा सभी संक्रमितों की पहचान कर अधिकतम 20 दिनों में कोरोना को नियंत्रित किया जाना संभव हो सकता है। जिन देशों में कोरोना नियंत्रण में आ चुका है, वहां यही मॉडल अपनाया गया है। वहीं 40 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के सभी को वैक्सीन की एक-एक डोज देकर मौतों की संख्या काफी कम की जा सकती है।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल लैंसेट, अमेरिकी मेडिकल जर्नल के साथ कोरोना को हराने के चीन और दक्षिण कोरिया के मॉडल के आधार पर पटना मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (पीएमसीएच) में माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नीति आयोग के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस बाबत लिखे पत्र में ये बातें कहीं हैं।
डॉक्टर सिंह ने कहा कि सीएम ने उनका पत्र स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारियों के बीच प्रेषित कराया है। वहीं पीएम मोदी ने उनके मॉडल को प्रोटोकाल में शामिल कराने का आश्वासन दिया है। उन्होंने एंटीजेन किट की रिपोर्ट को और प्रभावी बनाने के लिए नाक के साथ मुंह से भी स्वाब लेने पर जोर दिया, ताकि पर्याप्त मात्रा में वायरस लोड मिल सके। कई बार छींक आने से नाक से पर्याप्त मात्रा में वायरस लोड नहीं मिलता है।
सत्येंद्र ने बताया कि एंटीजेन व एंटीबाडी रैपिड किट से जांच करके ही सबसे पहले चीन व दक्षिण कोरिया ने कोरोना से मुक्ति पाई है। यह माडल आजकल ब्रिटेन व अमेरिका में चल रहा है। इसमें पहले व्यक्ति की नाक व मुंह से स्वाब लेकर एंटीजेन जांच की जाती है। यदि रिपोर्ट निगेटिव आती है तो अंगुली में प्रिक कर खून की एक बूंद लेकर एंटीबाडी किट से जांच की जाती है। ऐसे में व्यक्ति पाजिटिव है या निगेटिव, इसकी सौ फीसद सही रिपोर्ट 10 मिनट में मिल जाती है। दोनों जांच करने पर अधिकतम खर्च 150 या 200 रुपये का आता है। ये दोनों जांच लोग खुद भी कर सकते हैं।
सैकड़ों लोगों पर आजमा चुके हैं दोनों किट की रिपोर्ट
डॉक्टर सत्येंद्र के अनुसार पहली लहर में जब प्रदेश में कोरोना चरम पर था, उस समय एंटीजेन रैपिड किट से जांच को दो लाख तक करके स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमण की रफ्तार कम कर दी थी। खुद, पत्नी व मित्रों के अलावा अब तक वह पीएमसीएच के सौ से अधिक चिकित्साकर्मिंयों पर इस विधि का परीक्षण कर चुके हैं। हर बार बिल्कुल सही रिपोर्ट मिली है। जिन लोगों की एंटीजेन व आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव थी, उनमें भी संक्रमण की पुष्टि एंटीबाडी टेस्ट से हुई है।