नई दिल्ली। भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर का पीक खत्म हो चुका है। फरवरी के महीने से देश में कोरोना के मामले फिर से बढ़ने शुरू हुए थे और अप्रैल के अंत में भारत में रोजाना 4 लाख के करीब केस आ रहे थे। इसके बाद 9 मई से इनमें गिरावट शुरू हुई और अब यह आंकड़ा 3 लाख से नीचे जा चुका है।
सफदरजंग अस्पताल के कम्यूनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर और हैड डॉक्टर जुगल किशोर का कहना है कि यदि सब कुछ ठीक रहता है तो आने वाले 10 से 14 दिनों में कोरोना की दूसरी लहर समाप्त हो जाएगी।
प्रोफेसर जुगल किशोर ने कहा कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर का खत्म होना कई बातों पर निर्भर करता है। हम कोविड नियमों का जितनी कड़ाई से पालन करेंगे और इस वायरस को फैलने से रोकने में अपनी भूमिका सही तरीके से निभाएंगे उतनी जल्दी कोरोना की दूसरी लहर समाप्त होगी। यदि सड़कों पर लोगों की आवाजाही जारी रही और बाजारों में भीड़ बढ़ी तो दूसरी लहर के खत्म होने की बजाय और विकराल भी हो सकती है। इसके साथ ही यदि हम वैक्सीनेशन में तेजी लाएंगे और अधिक से अधिक लोगों को टीका लगाएंगे तो हम जल्द से जल्द कोरोना की दूसरी लहर को खत्म कर पाएंगे।
एक्टिव केस में कमी से कम होगा दूसरी लहर का प्रकोप
डॉक्टर जुगल किशोर का यह भी कहना है कि एक्टिव मामलों में जैसे-जैसे गिरावट आएगी वैसे ही दूसरी लहर का प्रकोप भी कम होगा। कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के दो या तीन दिन के बाद इससे संबंधित परेशानियों का दिखाई देना शुरू हो जाता है। ऐसे में आने वाले दस दिन बेहद खास होते हैं। ये न सिर्फ मरीज के लिए खास होते हैं बल्कि उसके संपर्क में आने वाले लोगों के लिए भी बेहद अहम होते हैं। इस दौरान यदि किसी को कोई परेशानी नहीं होती है तो ये अच्छी बात है, लेकिन यदि होती है तो उसको अपने आपको आइसोलेट कर लेना चाहिए।
देश में बड़ी संख्या में कोरोना से ठीक हो चुके हैं लोग
एक्टिव केस का कम होना इस बात का भी सबूत होता है कि हमारे कांटेक्ट कम हो रहे हैं। ऐसा कड़ाई से नियमों के पालन के कारण ही होता है। मौजूदा समय में देश के अधिकतम लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। इनमें से कुछ दवाओं के जरिए और कुछ अपनी स्ट्रॉन्ग इम्यूनिटी की वजह से इससे उबर गए हैं। जिन लोगों ने बिना अस्पताल गए कोरोना को हराया है, उनके संपर्क में आने वाले लोगों में संक्रमण फैलने की आशंका काफी कम होती है। अगर उनसे किसी दूसरे व्यक्ति को भी संक्रमण होता है तो यह ज्यादा गंभीर नहीं होता है।