मध्यप्रदेश (madya pradesh) में थमते कोरोना (corona) मामले के बीच राज्य सरकार द्वारा गरीब बच्चों को बड़ी राहत दी गई है। दरअसल अब गरीब अभिभावकों के बच्चे प्रदेश के निजी स्कूलों (MP School) में शिक्षा प्राप्त करेंगे। बच्चों का प्रवेश आरटीई (RTE) के तहत निजी स्कूलों (private schools) में किया जाएगा। शासन द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग (School Education Department) को अनुमति दे दी है। यह नियम इसी सत्र से लागू किए जाएंगे।
बता दें कि पिछले साल शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूल में 25 फीसद सीटों पर प्रवेश नहीं लिए गए थे। जिसके कारण प्रदेश के 26,000 निजी स्कूल में करीब 4 लाख सीटें खाली पाई गई थी। अब ऐसी स्थिति में स्कूल शिक्षा विभाग को राज्य शासन की अनुमति मिल गई है। इस साल मई के अंत सीट लॉक करने के निर्देश शिक्षा विभाग ने स्कूलों को दिए गए हैं। ताकि जून महीने से एडमिशन की प्रक्रिया शुरू की जा सके।
ज्ञात हो कि गरीब बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत भारत सरकार द्वारा एक अधिनियम पारित किया गया था। जिसे शिक्षा का अधिकार अधिनियम नाम दिया गया था। 4 अगस्त 2009 को लागू किए गए इस अधिनियम में बच्चों की उम्र के बीच मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के महत्व और तौर तरीके बताए गए थे।
इसके साथ ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21a के तहत भारत में 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मौलिक अधिकार के रूप में शिक्षा उपलब्ध कराने की बात कही गई थी। इस अधिनियम के तहत गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है। जहां माता-पिता द्वारा स्कूल में भर्ती कराया गया है। ऐसे बच्चों को सरकार का समर्थन होता है और राज्य सरकार ऐसे बच्चों के शुल्क के भुगतान के लिए उत्तरदाई होती है।