अहमदाबाद। गुजरात कांग्रेस में नाराज विधायकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। शुक्रवार को चार और विधायकों ने पार्टी और विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया।
इस तरह पिछले दो दिनों में कांग्रेस छोड़ने वाले विधायकों की संख्या सात हो गई है। इसके अलावा एक दर्जन और विधायक पार्टी छोड़ने की तैयारी में हैं।
शुक्रवार को कांग्रेस विधायक रामसिंह परमार, मानसिंह चौहान, सीके रावलजी और छनाभाई चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष रमण भाई वोरा को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
प्रदेश कांग्रेस में बढ़ते असंतोष का फायदा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बखूबी उठा रहे हैं। राज्यसभा चुनाव में उनकी और स्मृति ईरानी की जीत तय है।
अब वे अपने तीसरे उम्मीदवार बलवंतसिंह राजपूत की जीत सुनिश्चित करने में जुटे हैं। गुजरात विधानसभा में भाजपा के 121 सदस्य हैं। मौजूदा हालात में दोनों उम्मीदवारों की जीत के लिए जरूरी मतों के बाद 33 मत भाजपा के पास अतिरिक्त हैं।
इन मतों के बूते राजपूत का चुनाव जीतना संभव नहीं है। इसीलिए भाजपा कांग्रेस छोड़ चुके वरिष्ठ नेता शंकरसिंह वाघेला के समर्थक विधायकों से त्यागपत्र दिलवा रही है।
विधानसभा में अब कांग्रेस विधायकों की संख्या 50 रह गई है। कांग्रेस को राज्यसभा चुनाव में विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग किए जाने की आशंका भी सता रही है।
इसीलिए राजकोट के कांग्रेस विधायकों को रातभर एक रिसोर्ट में रखा गया, ताकि भाजपा नेता उनसे संपर्क नहीं कर सकें। लेकिन, सुबह होते ही जसदण विधायक भोलाभाई गायब हो गए।
विधायक कामिनीबेन राठौड़ भी पार्टी के संपर्क में नहीं हैं। पार्टी में बिखराव की खबर पाते ही गुजरात प्रभारी अशोक गहलोत अहमदाबाद दौड़े आए।
लेकिन, कांग्रेस में ‘मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। गुजरात भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव ने कहा कि कांग्रेस विचारधारा तथा शासन के विकल्प के रूप में विफल साबित हुई है।