कटनी। शासकीय तिलक स्नातकोत्तर महाविद्यालय कटनी में व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत विद्यार्थियों को प्राचार्य डॉक्टर सुधीर खरे के मार्गदर्शन एवं डॉक्टर व्ही के द्विवेदी के सहयोग से जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
प्रशिक्षण के क्रम में हरी खाद के लिए विभिन्न दलहनी फसलों सन ढेंचा मूंग उड़द लोबिया बरसीम को वर्षा ऋतु में बोनीकर एक से डेढ़ माह की फसल होने पर पाटा चला कर पौधों को खेत में पलट कर डिस्क हैरो या रोटावेटर से पौधों को छोटे-छोटे टुकड़ों में करके पानी डालकर सड़ा देते हैं। इसके बाद धान का रोपा लगाने से नत्रजन खाद की मात्रा कम लगती है तथा कम लागत तकनीकी से अधिक उत्पादन प्राप्त होता है।
खली के अंतर्गत तिलहनों से तेल निकालने के बाद बीजों का जो अवशेष बचा रहता है उसे खली कहते हैं उसमें प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट व खनिज पदार्थ रहते हैं विभिन्न खलियों मैं नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश आदि पोषक तत्वों की प्रतिशत मात्रा अधिक होती है। खली का उपयोग पशुओं में दूध उत्पादन कृषि में जैविक खाद नीम की खली से भूमि के अंदर कीट एवं रोग नियंत्रण तथा सब्जियों में जड़ गांठ के नियंत्रण के लिए उपयोग की तकनीकी जानकारी दी गई।