ब्रिटेन के लीसेस्टर विश्वविद्यालय अस्पताल के डाक्टरों ने उसका इलाज किया। भारतीय मूल के रघुविंदर एस सहोटा और सुदीप दास सहित अन्य डाक्टरों ने कहा कि थोड़ी देर बाद उसने कोई चीज निकलने में दर्द महसूस किया और फिर उसकी आवाज चली गई। सात दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद उसकी दिक्कतें कम हुईं और उसे छुट्टी दी गई। डाक्टरों ने कहा, ‘‘नाक और मुंह बंद करके छींक को रोकना खतरनाक करतब है और इससे बचा जाना चाहिए।’’
छींक रोकने से युवक की सांस रूकी, मौत
ब्रिटेन के लीसेस्टर विश्वविद्यालय अस्पताल के डाक्टरों ने उसका इलाज किया। भारतीय मूल के रघुविंदर एस सहोटा और सुदीप दास सहित अन्य डाक्टरों ने कहा कि थोड़ी देर बाद उसने कोई चीज निकलने में दर्द महसूस किया और फिर उसकी आवाज चली गई। सात दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद उसकी दिक्कतें कम हुईं और उसे छुट्टी दी गई। डाक्टरों ने कहा, ‘‘नाक और मुंह बंद करके छींक को रोकना खतरनाक करतब है और इससे बचा जाना चाहिए।’’