जबलपुर, MP High Court। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आपदा प्रबंधन समिति को भंग करने की मांग संबंधी जनहित याचिका सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश करार देते हुए खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ल की युगलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा। जनहित याचिकाकर्ताओं संजय शुक्ला सहित अन्य की ओर से दलील दी गई कि माौजूदा आपदा प्रबंधन समिति भंग करके नए सिरे से गठन के दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
10 मई, 2021 को गृह विभाग, मध्य प्रदेश शासन ने आदेश जारी किया था। जिसमें कहा गया था कि वार्ड वार क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप बनाए जाएं। जिनमें नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं। साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों, एनजीओ व महिला समूहों के सदस्य शामिल किए जाएं। लेकिन इस दिशा में प्रयास नदारद हैं।
इसके स्थान पर कई आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को आपदा प्रबंधन समिति में जगह दे दी गई है। इस वजह से इंदौर शहर के 85 वार्ड में आपदा प्रबंधन के कार्य समुचित प्रगति नहीं हासिल कर पा रहे हैं। हाई कोर्ट ने पूरा मामला समझने के बाद अपने आदेश में साफ किया कि जनहित याचिका में विस्तार से कोई ठोस तथ्य नहीं दिए गए हैं। इससे जाहिर होता है कि मामला महज सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कवायद से जुड़ा है। हाई कोर्ट ऐसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
सघन आबादी क्षेत्र में मोबाइल टॉवर के खिलाफ शिकायत याचिका का पटाक्षेप
: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सघन आबादी वाले इलाके में मोबाइल टाॅवर के खिलाफ शिकायत पर 15 दिन के भीतर कार्रवाई सुनिश्चित किए जाने की व्यवस्था दी है। इसी निर्देश के साथ जनहित याचिका का पटाक्षेप कर दिया गया। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता संजय शर्मा की ओर से अधिवक्ता एसपी मिश्रा ने पक्ष रखा।