पसंख्यकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। नाईक ने केंद्र सरकार को ‘हिंदू राष्ट्रवादी सरकार’ बताया है। सीएनएन-न्यूज 18 के मुताबिक नाईक के वकीलों की ओर से फ्रांस में मौजूद इंटरपोल के सेक्रेटरी जनरल को खत भेजा है। इसमें कहा गया है कि रेड कॉर्नर नोटिस जारी और पब्लिश न किया जाए। इसमें कहा गया है कि भारत सरकार की याचिका इंटरपोल के संविधान और नियमों के अनुसार नहीं है।
नाईक के वकील कॉर्कर बिनिंग की ओर से भेजे खत में कहा गया है, नाईक न्याय से भाग नहीं रहे हैं। खत में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोपों का खंडन भी किया गया है। लैटर में लिखा है कि जब एक हिंदू राष्ट्रवादी सरकार ने भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यकों में जोरदार समर्थन रखने वाले एक धर्मशास्त्री के खिलाफ संदिग्ध आपराधिक कार्रवाई शुरू की है और आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोपों के जरिए उसकी प्रतिष्ठा को खराब करना चाहा है तो फिर विशेष चौकसी की जरूरत है। आगे लिखा गया है कि भारतीय आपराधिक प्रक्रिया का राजनीतिक फायदे के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है। इसके जरिए डॉ. नाईक की अभिव्यक्ति की आजादी के शांतिपूर्ण तरीके में बाधा डाली जा रही है।