ये मीटर बिजली खपत को डिजिटली रिकॉर्ड करते हैं, जिससे बिजली वितरण प्रणाली में हो रहे लीकेज का रियल टाइम पता चल जाता है। लेकिन, बिजली चोरों को बचाने के लिए महज 11 महीने के बाद ही 39 साल की रितु का ट्रांसफर 500 किमी दूर गाजियाबाद में कर दिया गया।
पिछले छह साल से वह भ्रष्टाचार और स्त्री विरोधी माहौल के खिलाफ जंग लड़ रही हैं। बड़े पैमाने पर हो रही बिजली चोरी को रोकने के लिए रितु टेक्नॉलजी की जरूरत पर जोर दे रही हैं। बिजली चोरों के विरोध के बावजूद पांच लाख में से एक लाख 60 हजार मीटर बदल दिए। इससे कानपुर में बिजली चोरी की घटना 30 फीसद से घटकर 15.6 फीसद हो गई।
इसलिए नहीं रुकी पूरी चोरी
बिजली चोरी के खिलाफ अभियान के बाद कुछ स्थानीय नेताओं उनके दफ्तर में आकर धमकियां दीं। स्टाफ के ही लोग बिजली चोरी की जांच की योजना पहले से ही लीक कर देते थे। इससे सर्च टीम के पहुंचने से पहले ही बिजली चुराने वाले अवैध कनेक्शन उतार लेते। उन्होंने कहा कि बिजली की चोरी को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदम से स्टाफ के ही कई लोग खुश नहीं थे। चाहे नए मीटर लगाने हो या छापेमारी करनी हो, हमारे लोग ही बिजली चोरों को राज बता देते थे।
रितु ने साल 2000 में पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद साल 2003 में आईएएस अधिकारी बनीं थीं। जुलाई 2017 तक वह केंद्र सरकार के बिजली मंत्रालय के अधीन ग्रामीण विद्युतीकरण निगम की कार्यकारी निदेशक रहीं।