ज्ञान डेस्क। आज हिंदी के महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती है। वे 31 जुलाई 1880 को बनारस के पास एक छोटे से गांव लमही में जन्मे थे। सहज-सरल भाषा में लिखी प्रेमचंदजी की कहानियों के बारे में तो हम सब भलीभांति जानते हैं, लेकिन उनके जीवन संघर्ष के बारे में कम ही लोगों को पता है। उनका जीवन इतना उथल-पुथल भरा था कि महज 25 साल की युवा उम्र में उन्हें दूसरा विवाह करना पड़ा था, वह भी एक विधवा महिला से।
दु:खों और संघर्ष का सिलसिला प्रेमचंदजी के जन्म के साथ ही शुरू हो गया था। कम उम्र में ही माता के देहांत के बाद पिता ने दूसरा विवाह कर लिया। सौतेली माता ने कभी प्रेमचंद को मातृत्व स्नेह नहीं दिया। पिता ने भी उनकी ओर कभी वात्सल्यपूर्ण ध्यान नहीं दिया। ऐसे में प्रेमचंदजी ने स्वयं को अध्ययन के जरिये तराशा। भूख और गरीबी से लड़ने और पुस्तकें पढ़ने का अपना शौक पूरा करने के लिए उन्होंने पुस्तकों के थोक व्यापारी के यहां मामूली-सी नौकर कर ली। वहां वे काम भी करते और समय मिलने पर पुस्तकें भी पढ़ लेते।
जब वे थोड़े बड़े हुए तो पुरानी प्रथाओं के दबाव में पिता ने महज 15 वर्ष की उम्र में उनकी इच्छा के विपरीत उनका ब्याह कर दिया। पत्नी झगड़ालू और कुरूप थी, किंतु पिता ने अमीरी देखकर यह विवाह करवा दिया था। चूंकि प्रेमचंद शांत और सरल स्वभाव के थे इसलिए किशोर उम्र की चंचलता के बावजूद अपनी पत्नी के साथ जीवन निभाने की भरसक कोशिश करते रहे। किंतु किस्मत ने मानो उन्हें संघर्ष की सर्वोच्च कसौटी पर कसने का मन बनाया था।
कुछ ही समय बीता कि प्रेमचंदजी के पिता का देहांत हो गया। इससे किशोर प्रेमचंद पर पूरे परिवार के लालन-पालन की जिम्मेदारी आ गई। कहां तो संवेदनशील और पठन-पाठन-लेखन में रुचि रखने वाले प्रेमचंद और कहां पूरे परिवार का पेट पालने की विराट जिम्मेदारी। अंतत: उन्हें छोटी-मोटी नौकरियां करनी पड़ीं।
कई बार तो ऐसे हालात आ गए कि घर का सामान बेचकर आटा-दाल खरीदना पड़ गया। मगर इतने कड़े संघर्ष के बावजूद उन्होंने पढ़ना और लिखना नहीं छोड़ा। इसी दौरान पत्नी के झगड़ालू रवैये से वे तंग आ गए। एक तरफ परिवार चलाने का संघर्ष और दूसरी तरफ पत्नी का लड़ाकू बर्ताव। अंतत: प्रेमचंदजी का पत्नी से अलगाव हो गया, तब जाकर उनके जीवन में शांति आई।
कुछ समय गुजर जाने के बाद मुंशी प्रेमचंदजी जब थोड़ा ठीक-ठाक कमाने लगे तो उन्होंने अपनी पसंद से दूसरा विवाह कर लिया। मगर तब तक भी उनकी उम्र महज 25 साल ही थी। चूंकि वे पहले से विवाहित थे, इसलिए उन्होंने एक विधवा से विवाह कर उसके जीवन-यापन की जिम्मेदारी उठाई। इन्हीं संघर्षों के बीच उन्होंने श्रेष्ठतम साहित्य रचा।