चंडीगढ़ः घरों में आने वाले एल.पी.जी. सिलैंडरों पर गैस सिलैंडर रूल्स के अनिवार्य प्रावधानों के तहत दर्ज होने वाली टैस्ट डेट न होने को लेकर लोगों की जान के लिए खतरा बताते हुए याचिकाकर्ता सी.एस. अरोड़ा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा कि भारत में तेजी से एल.पी.जी. गैस अपनाई जा रही है। हाईकेार्ट में याचिका दाखिल की गई है।
मामले को गंभीरता से लेते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने भारत, इंडियन आयल और एच.पी.गैस को निर्देश दिए हैं कि वे याची के मांग पत्र पर दो माह के भीतर निर्णय लें।
याचिकाकर्ता सी.एस. अरोड़ा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा कि भारत में तेजी से एल.पी.जी. गैस अपनाई जा रही है।
यह पारंपरिक साधनों का स्थान ले रही है। गैस सिलैंडर जितना सुविधाजनक होता है लापरवाही बरतने पर उतना ही खतरनाक साबित हो सकता है। इसी के चलते इसे इस्तेमाल करने और इससे जुड़ी अन्य प्रक्रियाओं के लिए गैस सिलैंडर रूल्स तैयार किए गए। इसके रूल 6 और 9 के बीच प्रावधान है कि प्रत्येक गैस सिलैंडर पर हाइड्रोस्टेटिक्स टैस्ट या हाइड्रोस्टेटिक्स स्ट्रेच टेस्ट अनिवार्य है। इसके साथ ही सिलैंडर पर इसकी तिथि लिखना भी जरूरी है।
इसकी तिथि एक्सपायर होने के बाद इसे लेने से इनकार कर देना उपभोक्ता का हक होता है। ऐसे में इसे अनिवार्य रूप से अंकित किया जाए और इसके बारे में जागरूकता फैलाई जाए। बिना इन टैस्ट के पता नहीं लगता कि आखिर सिलैंडर का कितना जीवन बाकी है और कितने समय तक इसे चलाना सुरक्षित होगा। ऐसे में असुरक्षित गैस सिलैंडर लोगों तक नहीं पहुंचे यह कंपनी के साथ ही सरकार की जिम्मेदारी भी बनती है।
हाईकोर्ट ने इस याचिका का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ता से पूछा कि इससे पहले उसने गैस कपंनियों को कोई रिप्रजेंटेदेशन दी है। इसका जवाब न में मिलने पर हाईकोर्ट ने याचिाककर्ता को एक माह का समय देते हुए उन्हें रिप्रजेंटेंशन सौंपने के आदेश दिए। साथ ही तीनों गैस कंपनियों को आदेश दिए कि रिप्रजेंटेशन मिलने के बाद दो माह के भीतर इस पर कानून के अनुरूप फैसला लिया जाए।