ज्योतिषधर्म

जिस घर में होती हैं ये दो चीजें, वहां का द्वार कभी नहीं खटखटाते रोग

जिस घर में होती हैं ये दो चीजें, वहां का द्वार कभी नहीं खटखटाते रोग
धर्म डेस्क। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, बहुत सारे ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर व्यक्ति सरल एवं सुलभ जीवन व्यतित कर सकता है। उन्हीं में से तुलसी पूजन और गो सेवा दो ऐसे शुभ कर्म हैं, जिस घर में प्रतिदिन होते हैं, वहां का द्वार रोग कभी नहीं खटखटाते और मिलते हैं ढेरों लाभ।

तुलसी पूजन क्यों?
‘स्कंद पुराण’ के अनुसार जिस घर में तुलसी का बगीचा होता है (एवं प्रतिदिन पूजन होता है), उसमें यमदूत प्रवेश नहीं करते।’
‘पद्म पुराण’ में आता है कि ‘कलियुग में तुलसी का पूजन, कीर्तन,  ध्यान, रोपण और धारण करने से वह पाप को जलाती है और स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करती है।’
‘पद्म पुराण’ के उत्तर खंड में आता है कि कैसा भी पापी, अपराधी व्यक्ति हो, तुलसी की सूखी लकडिय़ां उसके शव के ऊपर, पेट पर, मुंह पर थोड़ी-सी बिछा दें और तुलसी की लकड़ी से अग्नि शुरू करें तो उसकी दुर्गति से रक्षा होती है। यमदूत उसे नहीं ले जा सकते।
‘गरुड़ पुराण’ (धर्म कांड-प्रेत कल्प : 38.99) में आता है कि ‘तुलसी का पौधा लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान, स्पर्श और गुणगान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्मार्जित पाप जल कर विनष्ट हो जाते हैं।’
‘मृत्यु के समय जो तुलसी-पत्ते सहित जल का पान करता है वह सपूर्ण पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक में जाता है।’ (ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंड : 21.43) 
‘जो दारिद्रय मिटाना व सुख-सपदा पाना चाहता है उसे शुद्ध भाव व भक्ति से तुलसी के पौधे की 108 परिक्रमा करनी चाहिए।’ 
ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने से बरकत होती है।

क्या आप जानते हैं गो सेवा करने के क्या-क्या लाभ हैं-
भगवत्प्रेम की प्राप्ति होती है।
जन्म-मरण से मुक्ति मिलती है। 
संतोष मिलता है। 
धन में वृद्धि होती है। 
पुण्य की प्राप्ति होती है। 
संतान की प्राप्ति होती है। 
दर्द दूर होते हैं। 
ताप-संताप दूर होते हैं। 
हृदय प्रफुलिलत होता है। 
मन को शान्ति मिलती है। 
स्वास्थ्य लाभ होता है। 
तृप्ति का अनुभव होता है। 
मनुष्य जनम सफल होता है। 
परिवार को सुख मिलता है। 
ग्रह-नक्षत्र अनुकूल हो जाते हैं। 
अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है। 
गाय सुखी होती है। 
ईश्वर व संतों की प्रसन्नता प्राप्त होती है।
गाय की हत्या रुकती है।
राष्ट्र सच्ची प्रगति करता है।

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