भोपाल। शाह के दौरे में इस विषय पर भी मंथन हुआ कि कांग्रेस के जो विधायक जीतने की स्थिति में हैं उन्हें भाजपा में लाने की कवायद की जाए। ऐसे लोगों को टिकट भी दिया जाए। पार्टी का यह प्रयोग उत्तरप्रदेश में सफल रहा है। यही वजह है कि मप्र में भी इसे ही लागू किया जाएगा।
अमित शाह के तीन दिवसीय प्रवास में दर्जनभर बैठक और कोरग्रुप के साथ हुए मंथन में पार्टी ने मिशन 2018 का जो रोडमैप तैयार किया है, उसका लक्ष्य साफ है हर कीमत पर मध्यप्रदेश में सरकार बनाना। पार्टी ने शाह के दौरे के साथ ही इसकी कवायद शुरू भी कर दी है। शाह के साथ हुए मंथन में मौजूदा 166 विधायकों के सर्वे और संगठन द्वारा तैयार खुफिया रिपोर्ट कार्ड की समीक्षा भी की गई। इसमें 70 से ज्यादा विधायकों को चुनाव जीतने लायक नहीं माना गया है।
शाह की मौजूदगी में ही यह तय किया गया कि चार महीने में इन विधायकों के जमीनी हालत में सुधार नहीं होता है तो इनकी जगह नए प्रत्याशी की तलाश कर ली जाए। शाह ने ऐसे संकेत भी दिए कि वे जनवरी 2018 में होने वाले प्रवास में टिकट का क्राइटेरिया फाइनल कर देंगे। पार्टी के मंथन में प्राथमिक तौर पर यह भी विचार किया गया कि 5 और छह बार चुनाव जीत चुके विधायकों की जगह नए चेहरे को उतारा जाए और वह चेहरा मौजूदा विधायक की पसंद से ही तय कर लिया जाए ।
संगठन में भेजे जाएंगे कमजोर मंत्री – शाह की मौजूदगी में मंत्रियों के परफारमेंस पर भी विचार किया गया। सूत्रों का मानना है कि लगभग आधा दर्जन से कम मंत्रियों का कामकाज सरकार और संगठन की रिपोर्ट में कमजोर आंका गया है। ऐसे मंत्रियों को भाजपा के प्रदेश संगठन में एडजस्ट करने का भी निर्णय लिया गया है। शाह ने कहा कि इससे संगठन को भी मजबूत किया जा सकेगा। उनकी जगह कैबिनेट में नए चेहरों को स्थान दिया जाएगा। यह बात भी सामने आई कि केंद्रीय मंत्रीमंडल के विस्तार के बाद प्रदेश में भी शिवराज कैबिनेट में फेरबदल कर लिया जाए।
मोदी ही चेहरा – शाह ने अप्रत्यक्ष तौर पर साफ संकेत दिए कि 2018 में विधानसभा चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव करवाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है इसलिए चुनावी तैयारी में कोई कोताही नहीं की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि अब चुनाव कोई भी हो वोट सिर्फ नरेंद्र मोदी के नाम पर ही मांगे जाएंगे।
पिछले दो चुनाव में भी काटे गए टिकट
भाजपा मध्यप्रदेश में पिछले दो विधानसभा चुनाव में बड़ी संख्या में विधायकों के टिकट काट चुकी है। पार्टी ने 2008 में 41 और 2013 में 54 विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दिया था, जिसका फायदा भी उसे मिला। ज्यादातर उन विधायकों को चुनाव मैदान में नहीं उताया गया था, जिनके खिलाफ एंटी इनकमबेंसी थी या जिनकी जीतने की संभावना नहीं थी। जाहिर है आने वाले चुनाव में भी पार्टी बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों के टिकट से वंचित कर सकती है।
जल्द मंत्रिमंडल विस्तार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार को मुख्यमंत्रियों की बैठक के सिलसिले में दिल्ली में थे। जहां उनकी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात हुई। जिसमें मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा हुई। सूत्रों का दावा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार के बाद मध्यप्रदेश में भी श्राद्ध पक्ष के शुरू होने से पहले या बाद में मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है।