शाजापुर ट्रांसजेंडर टॉयलेट कथा: शाजापुर में थर्ड जेंडर को सम्मान देने के लिए प्रशासन की पहल । मध्य प्रदेश के शाजापुर में इन दिनों ट्रांसजेंडर टॉयलेट चर्चा का विषय बना हुआ है. लोग इन टॉयलेट की चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि यहां यह अपने तरह का पहला टॉयलेट है. लोगों का कहना है कि समाज ने अभी तक जिन लोगों की उपेक्षा की है, उनके सम्मान में यह छोटा सा कदम है गौरतलब है कि जब लोग पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं तो महिला, पुरुष, दिव्यांग देखकर ही टॉयलेट का चुनाव करते हैं. ऐसी स्थिति में वे लोग क्या करें, जिन्हें समाज ने अलग-अलग नाम तो दे दिए पर उपेक्षा की और उनकी सुविधा का ख्याल नहीं रखा. ऐसे ही लोगों यानी थर्ड जेंडर या ट्रांसजेंडर के लिए शाजापुर प्रशासन ने खास पहल की है
प्रशासन ने यहां के पब्लिक टॉयलेट पर एक चौथी कैटेगरी का बोर्ड लगाया है – ट्रांसजेंडर. दरअसल जिला पंचायत शाजापुर स्वच्छ भारत मिशन के तहत दुपाड़ा, देवला बिहार सहित जिले के विभिन्न गांवों में 87 टॉयलेट बनवा रही है. कुछ पूरी तरह बन चुके हैं तो कुछ निर्माणाधीन हैं. लेकिन, सबसे ख़ास बात यह है की इन शौचालयो में महिला-पुरुष के अलावा ट्रांसजेंडर यानी की थर्ड जेंडर के लिए भी अलग से एक शौचालय बनाया गया. जिसे एक नजीर माना जा रहा है
प्रशासन के बाद अब समाज की बारी- जिला पंचायत सीईओ
जिला पंचायत सीईओ मीशा सिंह का कहना है कि थर्ड जेंडर हमारे समाज का ही एक हिस्सा हैं. उसके अधिकार उसे पूरे सम्मान के साथ दिए जाने चाहिए. सरकारी महकमा तो अपनी कोशिश कर ही रहा है, अब समाज की बारी है. सरपंच प्रतिनिधि सचिन पाटीदार का इस मामले में कहना है कि सार्वजनिक शौचालय में ट्रांसजेंडर्स के लिए अलग से यह सुविधा उपलब्ध करवाने वाला काम एक अनूठा उदाहरण है. सरकारी अफसरों के दिमाग से निकली यह सोच इस वर्ग के अधिकार ओर सम्मान की बड़ी लकीर खींचती है
हर वर्ग को सम्मान मिलना जरूरी
वहीं, पंचायत सचिव रामेश्वर का कहना है कि पीएम मोदी के स्वच्छ भारत मिशन की सफ़लता का यह सर्वोच्च उदाहरण है हर वर्ग को स्वच्छता का अधिकार भी पूरे हक़ ओर सम्मान से मिला है. बेहद कम राशि मे बने सर्व सुविधायुक्त इन शौचालयो में महिलाओं के विश्राम और बच्चों के स्तनपान की सुविधाओं का भी ध्यान रखा गया है