हालांकि इसके कुछ देर बाद ही नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि, कोरोना संक्रमण से निपटना सरकार की पहली प्राथमिकता है। फिलहाल नगरीय निकाय चुनाव के संदर्भ में किसी तरह का कोई विमर्श नही किया जा रहा है।
जनिये पूरा मामला
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि शिवराज सरकार ने महापौर, अध्यक्षों के पद का चुनाव सीधे जनता से कराने की बजाय पार्षदों से कराने का पर विचार किया है। यह जानकारी देते हुए नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मप्र में आगामी नगरीय निकाय चुनाव में महापौर का चुनाव सीधे जनता द्वारा न होकर चुने हुए पार्षदों द्वारा हो । इस आशय का निर्णय पिछले विधानसभा सत्र के दौरान ही शासन द्वारा लिया जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि पिछले डेढ़ साल से एमपी में नगरीय निकाय चुनाव अटके हैं। मौजूदा कोरोना काल को देखते हुए सम्भावना अभी कम है। इस संबंध में नगरीय प्रशासन मंत्री सिंह का कहना है कि कोरोना नियंत्रण पहले है। उसके बाद निर्वाचन प्रक्रिया शुरू होगी। भाजपा सरकार ने किसी भी निकाय में आवादी के अनुपात के हिसाब से पद आरक्षित किए थे। अभी तक सरकार ने यह तय नहीं किया है कि हाइकोर्ट का निर्णय ही स्वीकार किया जाएगा या उस निर्णय के खिलाफ अपील करेंगे। इस संबंध में राज्य सरकार शीघ्र ही फैसला करेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता कोरोना की तीसरी लहर से निपटना है और इसके बाद ही निकाय चुनाव के बारे में फैसला लेंगे। यहां बता दें इसी साल मार्च के महीने में हाइकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने महापौर और अध्यक्षों के आरक्षण पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद अब शिवराज सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। इसके लिए शिवराज सरकार जल्दी विशेष अनुमति याचिका दायर करेगी। 14 मार्च 2021 को साग़र में पत्रकारों से चर्चा में नगरीय प्रशासन और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया था कि इसके लिए प्रशासनिक स्वीकृति दी है। अब हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ के फैसले को शिवराज सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। विशेष अनुमति याचिका दायर करेगी। उल्लेखनीय है कि कमलनाथ सरकार ने जनता की बजाय पार्षद के जरिए चुनाव कराना तय किया था।