देवताओं में भगवान श्री कृष्ण विष्णु के अकेले ऐसे अवतार हैं जिनके

देवताओं में भगवान श्री कृष्ण विष्णु के अकेले ऐसे अवतार हैं जिनकेश्री कृष्ण जन्माष्टमी 2017 


देवताओं में भगवान श्री कृष्ण विष्णु के अकेले ऐसे अवतार हैं जिनके जीवन के हर पड़ाव के अलग रंग दिखाई देते हैं। उनका बचपन लीलाओं से भरा पड़ा है। उनकी जवानी रासलीलाओं की कहानी कहती है, एक राजा और मित्र के रूप में वे भगवद् भक्त और गरीबों के दुखहर्ता बनते हैं तो युद्ध

में कुशल नितिज्ञ। महाभारत में गीता के उपदेश से कर्तव्यनिष्ठा का जो पाठ भगवान श्री कृष्ण ने पढ़ाया है आज भी उसका अध्ययन करने पर हर बार नये अर्थ निकल कर सामने आते हैं। भगवान श्री कृष्ण के जन्म लेने से लेकर उनकी मृत्यु तक अनेक रोमांचक कहानियां है। इन्ही श्री कृष्ण के जन्मदिन को हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले और भगवान श्री कृष्ण को अपना आराध्य मानने वाले जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की कृपा पाने के लिये भक्तजन उपवास रखते हैं और श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं।

कब हुआ श्री कृष्ण का जन्म

जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को ही कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों के मतानुसार श्री कृष्ण का जन्म का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि के समय हुआ था। अत: भाद्रपद मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी को यदि रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग हो तो वह और भी भाग्यशाली माना जाता है इसे जन्माष्टमी के साथ साथ जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।

  • जन्माष्टमी 2017
    14 अगस्त
    निशिथ पूजा– 00:03 से 00:47
    पारण– 17:39 (15 अगस्त) के बाद
    रोहिणी समाप्त- रोहिणी रहित जन्माष्टमी
    अष्टमी तिथि आरंभ – 19:45 (14 अगस्त)
    अष्टमी तिथि समाप्त – 17:39 (15 अगस्त)
  • जन्माष्टमी 2018
    2 सितंबर
    निशिथ पूजा– 23:57 से 00:43
    पारण– 20:05 (3 सितंबर) के बाद
    रोहिणी समाप्त- 20:05
    अष्टमी तिथि आरंभ – 20:47 (2 सितंबर)
    अष्टमी तिथि समाप्त – 19:19 (3 सितंबर)
  • जन्माष्टमी 2019
    24 अगस्त
    निशिथ पूजा– 00:01 से 00:45
    पारण– 05:59 (24 अगस्त) सूर्योदय के पश्चात
    रोहिणी समाप्त- सूर्योदय से पहले
    अष्टमी तिथि आरंभ – 08:08 (23 अगस्त)
    अष्टमी तिथि समाप्त – 08:31 (24 अगस्त)
  • जन्माष्टमी 2020
    11 अगस्त
    निशिथ पूजा– 00:04 से 00:48
    पारण– 11:15 (12 अगस्त) के बाद
    रोहिणी समाप्त- रोहिणी नक्षत्र रहित जन्माष्टमी
    अष्टमी तिथि आरंभ – 09:06 (11 अगस्त)
    अष्टमी तिथि समाप्त – 11:15 (12 अगस्त)
  • जन्माष्टमी 2021
    30 अगस्त
    निशिथ पूजा– 23:58 से 00:44
    पारण– 09:44 (31 अगस्त) के बाद
    रोहिणी समाप्त- 09:44
    अष्टमी तिथि आरंभ – 23:24 (29 अगस्त)
    अष्टमी तिथि समाप्त – 01:59 (31 अगस्त)
  • जन्माष्टमी 2022
    18 अगस्त
    निशिथ पूजा– 00:02 से 00:47
    पारण– 22:58 के बाद
    रोहिणी समाप्त- रोहिणी नक्षत्र रहित जन्माष्टमी
    अष्टमी तिथि आरंभ – 21:20 (18 अगस्त)
    अष्टमी तिथि समाप्त – 22:58 (19 अगस्त)
  • जन्माष्टमी 2023
    6 सितंबर
    निशिथ पूजा– 23:56 से 00:42
    पारण– 16:13 (7 अगस्त) के बाद
    रोहिणी समाप्त- 10:24
    अष्टमी तिथि आरंभ – 15:37 (6 अगस्त)
    अष्टमी तिथि समाप्त – 16:13 (7 अगस्त)
  • जन्माष्टमी 2024
    26 अगस्त
    निशिथ पूजा– 00:00 से 00:45
    पारण– 15:37 (27 अगस्त) के बाद
    रोहिणी समाप्त- 15:37
    अष्टमी तिथि आरंभ – 03:38 (26 अगस्त)
    अष्टमी तिथि समाप्त – 02:19 (27 अगस्त)
  • जन्माष्टमी 2025
    15 अगस्त
    निशिथ पूजा– 00:03 से 00:47
    पारण– 21:33 (16 अगस्त) के बाद
    रोहिणी समाप्त- रोहिणी नक्षत्र रहित जन्माष्टमी
    अष्टमी तिथि आरंभ – 23:49 (15 अगस्त)
    अष्टमी तिथि समाप्त – 21:33 (16 अगस्त)
  • जन्माष्टमी 2026
    4 सितंबर
    निशिथ पूजा– 23:57 से 00:43
    पारण– 06:04 सूर्योदय के पश्चात
    रोहिणी समाप्त- सूर्योदय से पहले
    अष्टमी तिथि आरंभ – 02:24 (4 सितंबर)
    अष्टमी तिथि समाप्त – 00:13 (5 सितंबर)
Exit mobile version