मंगलवार को मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित यचिकाकर्ता फोरम फॉर ट्रैफिक सेफ्टी एंड एनवायरमेंट सेनीटेशन के चेयरमैन ज्ञानप्रकाश ने अपना पक्ष स्वयं रखा। उन्होंने दलील दी कि भारत में दाएं के बदले बांए तरफ से पैदल राहगीरों का चलना सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक है।
कायदे से बाएं तरफ से चलने का नियम मोटर वाहनों के लिए है न कि राहगीरों के लिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इंटरनेशनल कंवेंशन ऑफ रोड ट्रेफिक पर 1968 में भारत ने साइन किए थे। जिसके मुताबिक पैदल राहगीरों के लिए दुनियाभर में दाएं तरफ से चलने का नियम निर्धारित किया गया था। इसके बावजूद अब तक भारत में विधिवत कानून न बनना चिंताजनक है। इसी वजह से मोटर वाहनों के साथ-साथ पैदल राहगीर भी बाएं तरफ से चलने के आदी हो गए हैं, जो दुर्घटनाओं को आमंत्रित करता है।
भारत सरकार से मांगा जाए जवाब
जनहित याचिकाकर्ता ने दलील दी कि कंट्रोल ऑफ नेशनल हाईवे लैंड एंड ट्रेफिक एक्ट-2002 के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग भारत सरकार की संपत्ति हैं। लिहाजा, भारत सरकार से हाईवे पर यातायात नियंत्रण, कार्ययोजना और मनीशनरी के अलावा बजट आदि के सिलसिले में जवाब मांगा जाना चाहिए। वहीं एनएचएआई से स्पीड, लोड एक्सल लोड आदि के संबंध में साइन बोर्ड को लेकर जानकारी तलब की जानी चाहिए।