खेल
नन्ही मिताली’ से मिताली राज बनने का सफर
मिताली राज महिला क्रिकेट में 6000 रन पूरे करने वाली पहली क्रिकेटर हैं। अपने शानदार परफॉर्मेंस के दम पर भारतीय टीम के महिला विश्वकप में बहुत आगे तक ले आई हैं। जितना शानदार उनका आज है, यहां तक पहुंचने का उनका सफर उससे बिल्कुल भी कम नहीं है। खबरों के मुताबिक मिताली की नेट वर्थ लगभग 5.5 करोड़ रुपए है। इसके बावजूद वो बेहद सिंपल लाइफ जीती हैं। साथ ही वो अब भी अपने पुराने घर में ही रहती हैं।
भारतीय क्रिकेट टीम की इस कप्तान का जन्म साल 1982 में जोधपुर में हुआ। मिताली के पिता दुराई राज एयर फोर्स में ऑफिसर रैंक पर काबिज़ थे। वहीं मां लीला राज क्रिकेट में अपने हाथ आज़मा चुकी थी। परिवार से ही खून में मिले क्रिकेट के बावजूद मिताली के शुरूआती दिन क्लासिकल डांस सीखते हुए गुज़रे। तमिल परिवार में जन्म की वजह से डांस प्रति भी परिवार का झुकाव था।
लेकिन बेहद अनुशासन में अपने बच्चों को रखने वाले पिता दुराई राज को मिताली का आलसी रवैया पसंद नहीं था। इस वजह से ही उन्होंने कप्तान को 10 साल की उम्र में ही बल्ला थमा दिया। इसके बाद खुद मिताली को भी खेल में रूची होने लगी और वो इस क्षेत्र में ही अपना करियर बनाने के बारे में विचार करने लगी।
इसके बाद हैदराबाद में स्कूलिंग के दौरान मिताली अकसर लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती। जहां उनके खेल में और भी निखार आया और इसका फल उन्हें मिला 17 साल की उम्र में जब मिताली को भारतीय क्रिकेट टीम में खेलने का मौका मिला।साल 1999 में आयरलैंड के खिलाफ वनडे मैच के साथ उन्होंने अपने करियर की शुरूआत की। पहले मैच में ही 114 रनों की आतिशी पारी खेल 17 साल की इस लड़की ने क्रिकेट जगत में अपनी एक अलग पहचान बना ली।टीम इंडिया में एंट्री के बाद एक बार भी मिताली ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने करियर में आगे बढ़ती चली गईं। वनडे में शानदार आगाज़ के बाद मिताली को साल 2002 में भारतीय टेस्ट टीम से भी बुलावा आ गया। इंग्लैंड के खिलाफ लखनऊ में मिताली ने अपना डेब्यू किया। लेकिन उसी साल के आखिर में मिताली ने इंग्लैंड के खिलाफ अपने करियर का पहला दोहरा शतक लगाते हुए 214 रन बना डालेसाल 2004 में मिताली को भारतीय टीम की कमान सौंपी गई और जिसके बाद निरंतर भारतीय टीम की कप्तान बनी हुई हैं। बीच में कुछ समय के लिए झूलन गोस्वामी को टीम की कमान सौंपी गई लेकिन उसके बाद फिर से मिताली को ये जिम्मेदारी दे दी गई।
लेकिन बेहद अनुशासन में अपने बच्चों को रखने वाले पिता दुराई राज को मिताली का आलसी रवैया पसंद नहीं था। इस वजह से ही उन्होंने कप्तान को 10 साल की उम्र में ही बल्ला थमा दिया। इसके बाद खुद मिताली को भी खेल में रूची होने लगी और वो इस क्षेत्र में ही अपना करियर बनाने के बारे में विचार करने लगी।
इसके बाद हैदराबाद में स्कूलिंग के दौरान मिताली अकसर लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती। जहां उनके खेल में और भी निखार आया और इसका फल उन्हें मिला 17 साल की उम्र में जब मिताली को भारतीय क्रिकेट टीम में खेलने का मौका मिला।साल 1999 में आयरलैंड के खिलाफ वनडे मैच के साथ उन्होंने अपने करियर की शुरूआत की। पहले मैच में ही 114 रनों की आतिशी पारी खेल 17 साल की इस लड़की ने क्रिकेट जगत में अपनी एक अलग पहचान बना ली।टीम इंडिया में एंट्री के बाद एक बार भी मिताली ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने करियर में आगे बढ़ती चली गईं। वनडे में शानदार आगाज़ के बाद मिताली को साल 2002 में भारतीय टेस्ट टीम से भी बुलावा आ गया। इंग्लैंड के खिलाफ लखनऊ में मिताली ने अपना डेब्यू किया। लेकिन उसी साल के आखिर में मिताली ने इंग्लैंड के खिलाफ अपने करियर का पहला दोहरा शतक लगाते हुए 214 रन बना डालेसाल 2004 में मिताली को भारतीय टीम की कमान सौंपी गई और जिसके बाद निरंतर भारतीय टीम की कप्तान बनी हुई हैं। बीच में कुछ समय के लिए झूलन गोस्वामी को टीम की कमान सौंपी गई लेकिन उसके बाद फिर से मिताली को ये जिम्मेदारी दे दी गई।
मिताली की कप्तानी में भारतीय टीम साल 2005 में विश्वकप के फाइनल तक पहुंची। जहां उसे ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। साथ ही मिताली की कप्तानी में भारतीय टीम ने पहली बार इंग्लैंड में जाकर टेस्ट सीरीज़ जीती। क्रिकेट में शानदार योगदान के लिए मिताली को साल 2003 में अर्जुन अवार्ड जबकि 2015 में पद्मश्री से भी नवाज़ा गया। मिताली ने भारतीय क्रिकेट के लिए कुल 8000 से ज्यादा रन बनाए हैं। जिसमें उन्होंने 7 शतक और 53 अर्धशतक भी जमाए हैं।