कटनी। शासकीय तिलक स्नातकोत्तर महाविद्यालय कटनी में कम लागत तकनीकी से अधिक उत्पादन प्राप्त करने तथा जैविक खेती से स्वरोजगार स्थापित करने के लिए मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत प्राचार्य डॉक्टर सुधीर खरे के मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण समन्वयक डॉक्टर व्ही के द्विवेदी के सहयोग से जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे द्वारा विद्यार्थियों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
प्रशिक्षण के क्रम में नील हरित काई का निर्माण एवं फसलों में उपयोग की जानकारी दी गई। नील हरित काई सूक्ष्म जीवाणुओं का समूह है सूक्ष्म जीवाणु द्वारा वायुमंडलीय नाइट्रोजन को धान की फसल में स्थिरीकरण करने से एक तिहाई नाइट्रोजन की मात्रा कम देना पड़ता है। तथा उत्पादन में 14 से 20% की वृद्धि होती है।
खेत में धान का रोपा लगाने से एक सप्ताह बाद 10 किलो प्रति हेक्टर नील हरित काई देने से 20 से 25 किलो नाइट्रोजन की पूर्ति होती है। खेत में तीन से चार इंच पानी होना आवश्यक है। फरवरी से जून माह में जब तापक्रम 30 से 45 डिग्री सेंटीग्रेड हो बतलाई गई तकनीकी विधि से नील हरित काई का उत्पादन किया जा सकता है।
मिट्टी के प्रकारों के अंतर्गत दोमट जलोढ़ मिट्टी काली मिट्टी लाल मिट्टी पीली मिट्टी लेट राइट मिट्टी पर्वतीय मिट्टी शुष्क एवं मरुस्थलीय मिट्टी लवणीय मिट्टी या क्षारीय मिट्टी मिट्टी जैविक मिट्टी या पीत मिट्टी तथा जंगली मिट्टी वा पर्वतीय मिट्टी की जानकारी विभिन्न प्रदेशों में पाई जाने वाली मिट्टी उनमें पाए जाने वाले पोषक तत्व तथा फसल उत्पादन की जानकारी दी गई।