देवेंद्र बहल की मानें तो इस पूरे आतंकी खेल का एक खिलाड़ी नईम गिलानी भी है, सैय्यद अली शाह गिलानी का बेटा भी इसमें शामिल है। गिलानी का बड़ा बेटा नईम पेशे से सर्जन है और वो पाकिस्तान में 11 वर्ष बिताने के बाद 2010 में भारत लौटा है। उसे ही गिलानी का असली उत्तराधिकारी माना जा रहा है।
एनआईए ने लगातार दूसरे दिन अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के करीबी देवेंद्र सिंह बहल से पूछताछ की और सोमवार को उसके जम्मू स्थित नौशेरा आवास पर छापेमारी की। इससे पहले रविवार को भी देवेंद्र के घर छापेमारी की गई थी।
एनआईए की जांच और छापेमारी के दौरान बहल के बैंक अकाउंट में 35 लाख रुपये मिले हैं। एनआईए के अधिकारी का कहना है कि एक वकील के लिए, जिसकी वकालत खास नहीं चलती, 35 लाख की बचत कुछ ज्यादा दिखती है। एनआईए बहल से इस पैसे के सोर्स के बारे में भी पूछताछ करेगी।
नआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हमें संदेह है कि पाकिस्तानी उच्चायोग के लोगों के साथ संपर्क में रहने वाले बहल ने आईएसआई के जासूसों को खुफिया सूचनाएं देकर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला। यह एक गंभीर अपराध है और उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 121 (राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने) के तहत केस का आधार तैयार करता है।’
बता दें कि छापेमारी के दौरान एनआईए को अलगवावदियों से जुड़े कुछ आपत्तिजनक दस्तावेजों के अलावा चार मोबाइल फोन मिले थे। इन सब में टीम को गिलानी के हस्ताक्षर वाला प्रोटेस्ट कैंलेडर भी मिला था जिसमें यह बताया गया था कि घाटी में किस दिन कौन का प्रदर्शन करना है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देवेंद्र सिंह बहल का पाक उच्चायोग में रोजाना का आना-जाना था। देवेंद्र के घर अक्सर सैयद अली शाह गिलानी, नईम खान व शब्बीर शाह आया करते थे। आतंकी फंडिंग के लिए यहां पर बैठकें भी होती थीं। एनआइए ने अब तक आतंकी फंडिंग में सात अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार किया है। गिलानी के करीबी सहयोगी बहल उनके अलगाववादी संगठनों के समूह के लीगल विंग के सदस्य भी हैं। बताया जाता है कि आतंकी फंडिंग मामले में देवेंद्र सिंह कश्मीर घाटी में मारे गए आतंकियों की शवयात्रा में भी हिस्सा लेता रहा है।
देवेंद्र सिंह पेशे से वकील है, लेकिन प्रेक्टिस नहीं करता है। इस समय वह जम्मू एंड कश्मीर सोशल पीस फोरम चला रहा है। यह फोरम कश्मीर में मानवाधिकार मामलों को उठाता रहा है। इस संस्था का मुखिया हुर्रियत का अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी है। यह संस्था हुर्रियत के कानूनी मामलों को भी देखती है।
वहीं 7 अलगाववादी नेताओं और हवाला ऑपरेटर से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि कश्मीर में बड़े पैमाने पर टेरर फंडिंग में गोल्ड का इस्तेमाल हुआ है।
NIA के हाथ लगा घाटी को धधकाने वाला कैलेंडर
कश्मीर में तनाव फैलाने के लिए अलगाववादी नेता कैलेंडर बनाकर जारी करते हैं। उन्हीं में से एक कैलेंडर एनआईए द्वारा आतंकी फंडिंग मामले में देवेंद्र सिंह के घर से बरामद किया गया है। यह कैलेंडर अक्सर कट्टरपंथी हुर्रियत के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की ओर से जारी होता रहा है। बरामद कैलेंडर 8 जुलाई का है, जिसमें बुरहान वानी की मौत का एक वर्ष बीतने पर कश्मीर में हड़ताल और बंद रखने का पूरा ब्योरा दिया है।
कैलेंडर में बुरहान की बरसी पर घाटी में बंद के एलान का भी जिक्र है। इस कैलेंडर के मिलने से स्पष्ट हो गया है कि देवेंद्र सिंह अलगाववादियों के नेताओं के संपर्क में रहता था और उसका एजेंडा भी उसके घर पर ही तय होता था।
संदिग्ध के घर से एक टैब भी बरामद हुआ है, जिससे पुलिस उसके अलगाववादियों के लिंक को भी खंगाला जा रहा है।
एनआईए के हाथ लगे कैलेंडर में हुर्रियत के नेताओं के उस फरमान का भी पता लगा है, जिसमें उन्होंने कश्मीर में सक्रिय जमात ए इस्लामी जो हिज्बुल मुजाहिद्दीन का आतंकी गुट है, में शामिल खूंखार आतंकवादियों को सेना के कैंपों और घाटी के संवेदनशील इलाकों में हमला करने का जिक्र भी किया गया है।
कैलेंडर में ऐसे आतंकवादियों के डेढ़ सौ नामों का भी उल्लेख भी किया गया है। एनआइए तमाम पहलुओं पर जांच कर रही है।