महात्मा गाँधी के इन शब्दों को चरितार्थ कर विकास की हर कसौटी पर आज की आत्मनिर्भर महिलाएं खरी साबित हुई हैं। सदियों से महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कमजोर और अबला बता दिया जाता था। लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं, आज की सबल महिलाएं अपने जीवन की कमान खुद संभाले हुए हैं, वे ऐसी भूमिकाओं में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं, जहां कभी पुरुषों का बोलबाला था। चाहे वह कारखानों में काम करना हो, लड़ाकू जेट उड़ाना हो या सेना में भर्ती होना।
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की 24 वर्षीय सविता भारतीय सेना में शामिल होकर जब अपने गांव लौटी, तो उसका स्वागत माला और ढोल-नगाड़ों के साथ बजते देशभक्ति के गीतों से हुआ। भोपाल की एक अन्य प्रसिद्ध हिंदी लेखिका डॉ स्वाति तिवारी ने भोपाल गैस त्रासदी की विधवाओं के जीवन पर किताब लिखकर ‘नेशनल लाडली मीडिया एंड एडवरटाइजिंग अवॉर्ड फॉर जेंडर सेंसेटिविटी’ जीता। जहां, पुरुषों का दशकों से खेलों पर वर्चस्व रहा है, वहीं विशेष रूप से भारत के गांवों-कस्बों में रहने वाली महिलाओं ने दिखाया है कि पूरे जुनून के साथ कोई काम किया जाए तो बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, शहडोल जिले की 22 वर्षीय पूजा वस्त्राकर क्रिकेट की दुनिया में बल्लेबाज के तौर पर नाम कमा रही हैं। ऐसे अनगिनत नाम हैं जिन्होंने विषम परिस्थितियों में अपने जज्बे से समाज और परिवार की दिशा और दशा बदली है।
अक्सर कहा जाता है कि अगर आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो आप पूरे परिवार को शिक्षित करते हैं। सामाजिक-आर्थिक वर्गों की महिलाएं शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण के महत्व को पहचाना है। वे जानती हैं कि शिक्षा का पुल बनाकर पिछड़ेपन की खाई को पाटा जा सकता है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंहचौहानने समाज में महिलाओं को उनका उचित दर्जा दिलाने में मदद करने के लिए महिला सशक्तिकरण के कई अभियान शुरू किए हैं, जिसका उद्देश्य वंचित महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जोड़कर आत्मनिर्भर बनने में मदद करना और स्वयं के साथ-साथ अपने परिवार को आगे बढ़ाना है।
एक अन्य महत्वपूर्ण पहल दीदी वाहन सेवा योजना है जिसे राज्य के आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में ग्रामीण आजीविका मिशन की महिलाओं द्वारा शुरू किया गया है। महिलाओं में स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने स्टार्ट-अप नीति और कार्यान्वयन योजना शुरू की है, जिसमें महिलाओं द्वारा स्थापित स्टार्ट-अप को अतिरिक्त 20 प्रतिशत सहायता प्रदान की जा रही है। हिंसा की शिकार महिलाओं को आश्रय, परामर्श, चिकित्सा सहायता, कानूनी सहायता और पुलिस सहायता प्रदान करने के लिए राज्य के सभी 52 जिलों में वन स्टॉप सेंटर संचालित किए जा रहे हैं।
उद्योग क्षेत्र और इससे मिलने वाले अवसरों की बात करें तो महिलाओं का प्रतिनिधित्व हमेशा से ही कम रहा है, हालांकि अब यह क्षेत्र भी महिलाओं को काम पर रखने और नए अवसर देने की ओर बढ़ रहा है। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के संचालन में महिला भागीदारी धारणाओं को तोड़ रही है।
यह भारत की पहली महिला मैनेजर के नेतृत्व वाली खदान है। आगामी बंदर डायमंड परियोजना आत्मनिर्भर बुंदेलखंड की ओर एक कदम है जो युवाओं और महिलाओं सहित स्थानीय लोगों को सैकड़ों रोजगार प्रदान करेगी। इस परियोजना में सरकारी खजाने में लगभग 28, 000 करोड़ के योगदान सहित क्षेत्र में लगभग 40, 000 करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधियों होगी, जिससे रोजगार के अवसर मिलेंगे। परियोजना के कारण आर्थिक विकास के साथ-साथ बंदर डायमंड प्रोजेक्ट अपनी सीएसआर गतिविधियों के माध्यम से सामाजिक प्रभाव पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।
कई संगठनों ने सीएसआर के दायरे में विभिन्न पहलों से महिलाओं में शिक्षा और कौशल विकास को आगे बढ़ाया है। उदाहरण के लिए, स्टरलाइट द्वारा जीवन ज्योति, गोदरेज द्वारा सैलून-आई, हिन्दुस्तानजिंक लिमिटेड द्वारा प्रोजेक्ट सखी और आदित्य बिड़ला समूह द्वारा महिला सशक्तीकरण की पहल, उन क्षेत्रों में महिलाओं में सकारात्मक बदलाव की उदाहरण हैं जहां परियोजनाएं शुरू हुई हैं।
ऐसे में भारतीय महिलाओं की उपलब्धियों पर एक नज़र डालें तो लगता है कि वे पीढ़ियों को प्रेरित कर रही हैं। महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न न केवल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बल्कि पूरे वर्ष चलते रहना चाहिए।
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मध्य प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के लिए पहल और लाभ
ऽ महिला एवं बाल विकास विभाग -विशेष पोषाहार आहार योजना के लिए 1450 करोड़ रुपए का प्रावधान
ऽ आंगनबाड़ी सेवाओं के लिए 1272 करोड़ रुपए का प्रावधान
ऽ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को अतिरिक्त मानदेय हेतु 870 करोड़ रुपए का प्रावधान
ऽ प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना के लिए 196 करोड़ रुपए का प्रावधान
ऽ राष्ट्रीय पोषण मिशन के लिए 155 करोड़ रुपए का प्रावधान
ऽ लाड़ली लक्ष्मी योजना के लिए वर्ष 2021-22 में 922 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।