बिमारी नहीं केवल नाम बदल रहा WHO: मंकीपॉक्स का नाम ‘MPOX’ करने पर विचार कर रहा वर्ल्‍ड हैल्‍थ ऑर्गनाइजेशन, जानें सब कुछ

बिमारी नहीं केवल नाम बदल रहा WHO: मंकीपॉक्स का नाम 'MPOX' करने पर विचार कर रहा वर्ल्‍ड हैल्‍थ ऑर्गनाइजेशन, जानें सब कुछ

बिमारी नहीं केवल नाम बदल रहा WHO: मंकीपॉक्स का नाम ‘MPOX’ करने पर विचार कर रहा वर्ल्‍ड हैल्‍थ ऑर्गनाइजेशन जानें सब कुछ अमेरिका के दबाव में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मंकीपॉक्स बीमारी का नाम बदलकर एमपीऑक्स (MPOX) करने जा रहा है। एक अमेरिकी समाचार पत्र की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। मंकीपॉक्स वायरस को लेकर खौफ खत्म करने के इरादे से यह कदम उठाया जा रहा है।

‘द पोलिटिको’ के अनुसार डब्ल्यूएचओ यह निर्णय बाइडन प्रशासन के अधिकारियों के बढ़ते दबाव के कारण कर रहा है। अमेरिकी अधिकारियों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से निजी तौर पर डब्ल्यूएचओ से नाम बदलने को कहा था। इसकी घोषणा बुधवार को की जा सकती है।

मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के हवाला से पोलिटिको की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका इस बात से चिंतित है कि मंकीपॉक्स वायरस का नाम बीमारी के कलंक गहरा कर रहा है। इसके कारण देश में टीकाकरण अभियान प्रभावित हो रहा है।
बता दें, मई 2022 की शुरुआत से मंकीपॉक्स के मामले कई देशों में सामने आए हैं। अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार देश में लगभग 30,000 केस दर्ज किए हैं। अमेरिका में मंकीपॉक्स वायरस के अधिकांश केस पश्चिमी या मध्य अफ्रीकी देशों की बजाए यूरोप व उत्तर अमेरिका की यात्रा करने वालों में मिले हैं। अफ्रीकी देशों में यह वायरस स्थानीय स्तर पर फैल रहा है। अब तक सामने आए अधिकांश मामले प्राथमिक यौन स्वास्थ्य केंद्रों के जरिए सामने आए हैं। इनमें यौन रोगों से जुड़े केस शामिल हैं। ये सिर्फ पुरुषों के समलैंगिक सेक्स से जुड़े नहीं हैं।

पिछले माह डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि मंकीपॉक्स लगातार अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों (IHR) के अधीन बना हुआ है। यह आपात जनस्वास्थ्य को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंता (PHEIC) के दायरे में आता है।हालांकि, कई देशों में फैलने के बाद मंकीपॉक्स के खतरे को लेकर टीकाकरण के बाद वैश्विक स्थिति में कुछ सुधार आया है।
WHO ने क्षेत्रवार स्थिति का आकलन किया था। इसमें अमेरिका को उच्च जोखिम वाला, यूरोप को मध्यम जोखिम वाला, अफ्रीका, पूर्वी भूमध्यसागरीय और दक्षिण-पूर्व एशिया को मध्यम और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र को कम जोखिम वाला बताया था।

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