भोपाल । प्रदेश में कोरोना संक्रमण से बिगड़े हालातों की वजह से रायसेन, मंदसौर, आलीराजपुर, उज्जैन, आगर-मालवा जिलों की रेत खदानों की नीलामी अटक गई है। अब ये खदानें बारिश बाद नीलाम होंगी। खनिज निगम इसकी तैयारी में जुटा है। इनमें से रायसेन, मंदसौर और आलीराजपुर की खदानों के ठेके रॉयल्टी की दूसरी किस्त जमा न करने के कारण दो महीने पहले निरस्त किए गए हैं। जबकि उज्जैन और आगर-मालवा की खदानों को नीलामी के पांचवें प्रयास में भी ठेकेदार नहीं मिले हैं। अब इन खदानों में रेत के भंडारण का फिर से आकलन कराया जा रहा है।
कमल नाथ सरकार ने जिलों की रेत खदानों का समूह बनाकर दिसंबर 2019 में नीलाम की थीं। इससे सरकार को करीब 1400 करोड़ रुपये राजस्व मिलना था, पर काफी महंगी खदानें लेने के कारण ठेकेदार चला नहीं पा रहे हैं। पहले प्रदेश की सबसे महंगी नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जिले की रेत खदान ठेकेदार ने छोड़ी और इस साल रायसेन, मंदसौर और आलीराजपुर के ठेकेदार रॉयल्टी राशि जमा नहीं कर पाए।
इसलिए तीनों जिलों के ठेके निरस्त करना पड़े। खनिज निगम अप्रैल-मई में नीलामी प्रक्रिया पूरी करने की तैयारी में था, पर इन महीनों में कोरोना की वजह से सभी गतिविधि ठप रहीं। अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश प्रक्रिया में आड़े आ जाएंगे। 30 जून से तीन महीने के लिए नदियों से रेत निकालना प्रतिबंधित रहेगा। इसलिए नीलामी चार महीने के लिए टल गई है।
दो साल में पांच बार नीलामी करने के बाद भी आगर-मालवा और उज्जैन की खदानें नीलाम नहीं हुईं। ठेकेदारों का कहना है कि सरकार ने खदानों का जो मूल्य तय किया है, उतनी भी रेत नहीं है। इसलिए छठवीं बार नीलामी प्रक्रिया शुरू करने से पहले दोनों जिलों के कलेक्टरों से रेत भंडारण का आकलन करने को कहा है।
ठेकेदार मांग रहे भंडारण की अनुमति
प्री-मानसून बारिश शुरू होने से पहले ठेकेदार रेत का भंडारण करना चाहते हैं। प्रदेशभर में ज्यादातर ठेकेदारों ने भंडारण की अनुमति के लिए आवेदन लगा दिए हैं। दरअसल, बारिश शुरू होते ही नदी तट से रेत भरना मुश्किल हो जाएगा और 30 जून से तीन महीने के लिए घाट बंद हो जाएंगे। ऐसे में ठेकेदार भंडारण करके रखेंगे, तभी काम चल पाएगा।