ये कैसा नियम? कटनी की शिल्पी, खरगोन की प्रतिभा को MP में सभी अधिकार पर चुनाव लड़ने का नहीं !

ये कैसा नियम? कटनी की शिल्पी, खरगोन की प्रतिभा को MP में सभी अधिकार पर चुनाव लड़ने का नहीं !

कटनी/ खरगोन: महाराष्ट्र और UP की बेटी की शादी मध्यप्रदेश के खरगोन और कटनी में हुई. शादी के बाद इन दोनों बेटियों को मध्यप्रदेश में सभी अधिकार मिले, लेकिन वह पार्षद चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित हो गई. यह मामला खरगोन तथा कटनी नगर पालिका में सामने आया। खरगोन में जहां कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लड़ रही प्रतिभा पाटिल का नामांकन फार्म निरस्त हो गया. वहीं कटनी में वार्ड क्रमांक 7 से भाजपा प्रत्याशी श्रीमती शिल्पी सोनी का नामांकन निरस्त हो गया। खरगोन की अब महिला दावेदार ने हाईकोर्ट की शरण ली है.वहीं शिल्पी एक्सपर्ट की राय ले रहीं हैं।

खरगोन की प्रत्याशी प्रतिभा

जानिए दोनों मामले

खरगोन और कटनी के ये दोनों ही मामले एक जैसे हैं खरगोन नगर पालिका के वार्ड-10 से प्रतिभा कांग्रेस की अधिकृत प्रत्याशी है. उनके फार्म निरस्त का कारण जाति ओबीसी नहीं होना सामने आया हैं. क्योंकि चुनाव आयोग ने पाटिल समाज को ओबीसी दर्जा महाराष्ट्र में नहीं होना बताया है जबकि महिला के पिता का जाति प्रमाण पत्र ओबीसी का है. मध्यप्रदेश के खरगोन में नूतन नगर निवासी महिला के पति सुनील पाटिल का जाति प्रमाण पत्र भी ओबीसी का है. ऐसे में महिला को जो कारण बताया गया है, उसमे पिता का ओबीसी में आना उसकी शादी के बाद हुआ है. उससे पहले महाराष्ट्र में पाटिल समाज सामान्य वर्ग में आता था.

इधर कटनी में शिल्पी सोनी का उत्तरप्रदेश के प्रमाण पत्र निर्वाचन अधिकारी ने इसलिए मानने से इनकार कर दिया क्योंकि नए नियम के मुताबिक मध्यप्रदेश के सक्षम अधिकारी का प्रमाण पत्र होना चाहिए था। यहां गौर करने की बात यह है कि शिल्पी कटनी में दो बार इसी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर चुनाव लड़ चुकी हैं। बहरहाल अब शिल्पी इस मामले को लेकर एक्सपर्ट का ओपिनियन ले रहीं है जिसके बाद वह कोर्ट जा सकतीं हैं।

खरगोन की दावेदार बोलीं हाईकोर्ट में जाउंगी
महिला प्रत्याक्षी पहली बार चुनाव लड़ रही है. उसने अपने पार्षद पद का नामांकन फार्म जाति के कारण निरस्त होने को महिलाओ का अपमान बताया है. महिला प्रतिभा ने गुस्सा जाहिर करते हुए बताया कि शादी के बाद महिला के पिता का नाम हटाया जाता है, उसका सरनेम हटाया जाता है और पति का नाम दिया जाता है. तो अब जाति में मेरे पिता की जाति से जोड़कर लाभों से वंचित किया जा रहा है. आज पिता की जाति सामान्य में होने से मेरा पार्षद प्रत्याक्षी का नामांकन निरस्त हुआ है. अब मैं हाई कोर्ट तक यह लड़ाई लडूंगी.इधर शहर कांग्रेस अध्यक्ष पूर्णा ठाकुर ने आपत्ति जताते हुए कहा कि शादी के बाद महाराष्ट्र की बेटी को मध्यप्रदेश में सभी अधिकार मिले, लेकिन वह चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित हो गई हैं.

सतना के मैहर में भी ऐसा ही मामला, विधायक नारायण त्रिपाठी ने लिखा था पत्र

इधर सतना के मैहर में भी ऐसा ही मामला सामने आया था विधायक नारायण त्रिपाठी ने इस पर एक पत्र लिखा था। पत्र के अनुसार सामान्य तौर पर जाति प्रमाणपत्र व्यक्ति के जन्म के स्थान के अनुविभागीय दण्डाधिकारी द्वारा ही जारी किया जाता है, किसी भी राज्य शासन द्वारा डिजिटल रूप से जारी जातिप्रमाण पत्र संपूर्ण देश में मान्य किया जाता है, किन्तु आयोग के उल्लेखित आदेश के अनुसार उपर्युक्त परिस्थितियों में मध्यप्रदेश शासन द्वारा जारी जाति प्रमाणपत्र मॉंगे जाने से असहज स्थितियॉं निर्मित हो रही है व आरक्षित वर्ग के पात्र अभ्यर्थी भी चुनाव लड़ने से वंचित हो रहे हैं। आयोग द्वारा जारी उक्त आदेश से पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के पात्र अभ्यर्थियों के साथ छल व अन्याय हो रहा है। इस मामले का विधिक समाधान अतिशीघ्र जरूरी है।

ये दिया उदाहरण
श्री त्रिपाठी ने बताया था कि नगर पालिका परिषद मैहर जिला सतना के वार्ड क्र. 12 में श्रीमती रश्मि चौरसिया द्वारा पार्षद पद हेतु नामांकन किया है, चौरसिया (बरई) जाति मध्यप्रदेष व उत्तरप्रदेष में पिछड़ा वर्ग में आती है, इनके पास उत्तरप्रदेश शासन द्वारा जारी वैध डिजिटल प्रमाणपत्र है, किन्तु आयोग के उक्त निर्देषानुसार इन्हें मध्यप्रदेश शासन द्वारा जारी जाति प्रमाणपत्र ही प्रस्तुत करना होगा अन्यथा की स्थिति में इनका नामांकन निरस्त कर दिया जायेगा जो कि पिछड़ावर्ग की इस महिला अभ्यर्थी के साथ अन्याय होगा।

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