फेसबुक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस रिसर्च ने एक प्रयोग शुरू किया था, जिसके तहत रोबोट्स एक दूसरे के साथ बातचीत कर सकें। इसका मकसद था कि वे जटिल संचार और तर्क कौशल सीख सकें। इसके लिए दो अलग-अलग प्रयोग किए गए। पहले प्रयोग में रोबोट्स को अंग्रेजी में संवाद करने दिया गया, जिसे मनुष्यों को द्वारा समझा जा सकता है।
दूसरे प्रयोग में भाषाई बैरियर को हटा दिया गया, यानी रोबोट्स जिस भाषा में चाहें, उसमें बात कर सकते थे। दूसरा प्रयोग इसलिए किया गया था, ताकि रोबोट्स कम्युनिकेटिंग स्किल्स को सीख सकें और उसे विकसित कर सकें। हालांकि, जांच में उन्होंने पाया कि उनका संचार विशिष्ट हो रहा था। बातचीत से नमूने इस तरह था-
बॉब: मैं कर सकता हूं, क्या मैं कर सकता हूं मैं सब कुछ कर सकता हूं।
ऐलिस: बॉल्स मेरे लिए शून्य है मेरे पास मेरे पास मेरे पास मेरे पास।
अब यह स्पष्ट है कि रोबोट्स के इस बयान के अर्थ को समझा नहीं जा सकता है। इसलिए, शोधकर्ताओं ने इस प्रयोग को छोड़ने का फैसला किया है। इससे पहले कि आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस ऐसी भाषा में चर्चा शुरू कर दें, जिसे समझा ही नहीं जा सके। शोधकर्ता अभी तक समझ नहीं पाए हैं कि वे किस बारे में बात कर रहे थे।
हालांकि, आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में यह विकास अच्छा था, लेकिन यह समझना मुश्किल था कि रोबोट्स क्या बात कर रहे थे। कौन जाने, क्या वे मनुष्यों से छुटकारा पाने के लिए बातें कर रहे थे।