भोपाल। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) के 11 लाख कर्मचारियों (employees) और पेंशनरों (pensioners) को लेकर बड़ी खबर है। दरअसल शिवराज सरकार (shivraj government) द्वारा प्रदेश के 11 लाख कर्मचारी और पेंशनर्स को बीमा (insurance) के दायरे में लाने की तैयारी की जा रही है। वहीं इस मामले में प्रस्ताव (draft) तैयार कर लिया गया है। इन मामले में ड्राफ्ट तैयार करने के लिए राजस्थान, तमिलनाडु और पंजाब के ड्राफ्ट पर विचार किया गया है।
शिवराज सरकार कर्मचारी और पेंशनर को बीमा के दायरे में लाने का प्रस्ताव तैयार कर चुकी है। सूत्रों की माने तो इस प्रस्ताव के मुताबिक कर्मचारियों को सामान्य इलाज के लिए 5 लाख रुपए और गंभीर उपचार के लिए 10 लाख रुपए दिए जाने की सीमा तय की गई है। वही बाह्य रोगियों के मामले में प्रतिवर्ष दवाओं पर 10 हजार रुपए की इलाज की रकम तय की गई है। कर्मचारियों के लंबे समय तक चलने वाले उपचार को छोड़कर वार्षिक खर्च की सीमा 25000 रुपए तय की गई है।
इससे पहले अधिकारी और कर्मचारी को इलाज के लिए हर साल 150 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। वही सेवारत कर्मचारियों के इलाज के लिए 135 करोड़ जबकि पेंशनर्स की दवाओं का खर्च 15 करोड़ रुपए आता है। वही Corona की वजह से पिछले 2 साल से अधिकारी कर्मचारियों के इलाज खर्च भी बढ़ गया है।
वही कर्मचारी और पेंशनरों को बीमा योजना में लाने के लिए जिन राज्यों के ड्राफ्ट पर विचार किया गया है। उसमें तमिलनाडु के पेंशनर से अंशदान पर स्वास्थ्य बीमा योजना अधिकतम 4 लाख रुपए और अति गंभीर बीमारी में साढे 7 लाख़ रूपए तय हैं। इसके अलावा पंजाब से अंशदान के आधार पर कर्मचारी को स्वास्थ्य बीमा योजना अधिकतम 3 लाख़ रूपए तय की गई है जबकि राजस्थान में अंशदान पेंशनर मेडिकल फंड में जमा कर पेंशनर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।