कानपुर. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में अस्पतालों की लापरवाही की एक लंबी फेहरिस्त बन चुकी है. निजी अस्पताल तो मानवता भूल चुके हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों में भी ऐसा लगता है कि खेल चल रहा है. लापरवाही की हद यह है कि उत्तर प्रदेश के कानपुर के हैलट अस्पताल में देखने को मिला, जहां पर 2 दिन पहले मर चुकी महिला का हाल हैलट अस्पताल प्रबंधन परिजनों को बताता रहा.
महिला का अंतिम संस्कार होने के बाद भी उसका ऑक्सीजन लेवल और बाकी डिटेल अस्पताल प्रबंधन तीमारदार के मोबाइल पर भेजता रहा. कानपुर के गीता नगर की रहने वाली बुजुर्ग प्रियदर्शनी कोरोना संक्रमित हो गयी थीं. 13 मई को उन्हें इलाज के लिए हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद से परिजनों को एक बार भी उनका हाल नहीं बताया गया.
परिजनों की माने तो बुजुर्ग प्रियदर्शनी शुक्ला को वेंटिलेटर की जरूरत थी और उनकी हालत लगातार खराब हो रही थी, लेकिन वह साधारण ऑक्सीजन बेड पर ही रखी गई.
इसके चलते 16 मई को उनकी मौत हो गई. वहीं 18 मई तक उनके परिजनों को उनकी हालत की जानकारी भेजी जाती रही, जिसमें उनका ऑक्सीजन लेवल और पल्स रेट बताया जाता रहा था. मृतका की बहू प्राची शुक्ला का कहना है सास को हैलट में सही इलाज नहीं मिला. इसके चलते उनकी मौत हो गई. वहीं हैरानी की बात यह है कि उनका अंतिम संस्कार होने के बाद भी उनका ऑक्सीजन लेवल मोबाइल पर मैसेज भेज कर बताया जाता रहा.
उन्होंने हैलट अस्पताल की व्यवस्था पर गम्भीर सवाल खड़े किए. मरीज की मौत के बाद उसकी तबीयत की जानकारी का मैसेज भेजे जाने का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कम्प मच गया. आनन फानन में लापरवाही की जांच के लिए कमेटी की गठन भी कर दिया गया. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिन्सिपल डॉ आरबी कमल ने कहा कि गलती महिला जब भर्ती हुई तो उसकी हालत गम्भीर थी. नियमों के मुताबिक डेथ सार्टिफिकेट जारी किया गया. नई टीम ने कॉमन मैसेज जारी किया. लापरवाही की जांच के लिए कमेटी गठित की गयी है.