नई दिल्ली। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार वैदिक ब्राह्माणों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने पर विचार कर रही है। लेकिन राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने केन्द्र के ऐसे किसी भी कदम का विरोध किया है और कहा है कि ऐसा कोई भी कदम मौजूदा अल्पसंख्यकों के हितों के खिलाफ होगा। केन्द्र सरकार ने अल्पसंख्यक आयोग को कहा था कि वो इस प्रस्ताव पर विचार करे और वैदिक ब्राह्मणों को अल्पसंख्यकों का दर्जा देने की सिफारिश करे। लेकिन अल्पसंख्यक आयोग सरकार के ऐसे किसी भी कदम खिलाफ है। साल 2016-17 की रिपोर्ट में अल्पसंख्यक आयोग ने कहा है कि वैदिक ब्राह्मणों को अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं दिया जा सकता है क्योंकि वे हिन्दू धर्म के अभिन्न अंग हैं। हालांकि कमीशन ने इस बारे में अंतिम फैसला केन्द्र सरकार पर छोड़ दिया है।
अल्पसंख्यक आयोग का कहना है कि यदि सरकार ब्रह्माण महासभा या फिर अखिल भारतीय ब्रह्माण महासभा की मांग पर वैदिक ब्रह्माणों को अल्पसंख्यक का दर्जा दे देती है तो इसी तरह की मांग राजपूत, वैश्य और दूसरे हिन्दू जातियों की तरफ से भी उठ सकती है। इसलिए ब्रह्माणों को अल्पसंख्यक दर्जा देना सही नहीं है। बता दें कि केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक कानून 1992 के तहत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की है। भारत में 6 धार्मिक समुदायों को अल्पसंख्यकों का दर्जा हासिल है इनमें, मुस्लिम, क्रिश्चयन, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी शामिल है। पिछले कुछ दिनों से हिन्दू समुदाय की कई जातियां भी अपनी पौराणिक अस्मिता और पहचान के आधार पर अल्पसंख्यक दर्जे की मांग कर रही है। अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं और स्कीमें चलाती है और उनकी धार्मिक, सामाजिक पहचान की रक्षा करती हैं। (अन्य वेब पोर्टल)