नई दिल्ली। 2019 में मोदी सरकार का कार्यकाल खत्म होगा. इसी के मद्देनजर पीएम मोदी ने तीसरा कैबिनेट विस्तार किया और कुछ मंत्रियों को संगठन के काम में लगा दिया तो कुछ नए चेहरों को बड़ी जिम्मेदारियों के साथ अपनी नई टीम में शामिल किया.
रविवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार की सबसे खास बात रही कि इसमें सिर्फ बीजेपी के चेहरे शामिल किए गए. अन्य 48 पार्टियों के सांसद इसमें नहीं है. इसीलिए सियासी गलियारों में चर्चा है कि 2019 चुनाव से पहले मोदी सरकार में एक बार और कैबिनेट फेरबदल किया जाएगा.
ये हैं पांच कारण जिनकी वजह से कहा जा सकता है कि 2019 चुनाव से पहले एक और कैबिनेट विस्तार होगा-
1- एआईएडीएमके और जदयू दो ऐसे घटक दल हैं जो एनडीए में हाल ही में शामिल हुए हैं. इनके सांसदों की भी कैबिनेट में शामिल होने की संभावना जताई जा रही थी. पर ऐसा नहीं हुआ. ऐसे में कुछ ऐसे मंत्री जो एक से ज्यादा मंत्रालय पर हैं उनसे मंत्रालय लेकर नए सांसदों को बतौर मंत्री कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है.
2- डॉ. हर्षवर्द्धन के पास पर्यावरण और वन मंत्रालय के अलावा साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी है. जल्द ही उनसे एक मंत्रालय लेकर एनडीए के दूसरे घटक दलों को दिया जा सकता है.
3- इसी तरह आर के सिंह को भी पावर के अलावा अक्षय ऊर्जा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है. यानि इनके पास से भी एक मंत्रालय लेकर सहयोगी दलों को दिया जा सकता है.
4- पी राधाकृष्णन भी वित्त और शिपिंग राज्यमंत्री का दोहरा काम लिये हुए हैं. इनके पास से भी एक विभाग लेकर सहयोगी दलों को दिया जा सकता है. इसी तरह अल्फॉन्स को भी पर्यटन और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय दिया गया है.
5- आज के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद पीएम मोदी को मिलाकर कुल 76 मंत्री अब तक कैबिनेट में हो चुके हैं जबकि 5 और को शामिल किया जा सकता है. दरअसल मोदी कैबिनेट में अधिकतम 81 मंत्री ही हो सकते हैं.