संजय राउत की गिरफ्तारी पर प्रवर्तन निदेशालय ED के खिलाफ तीखी टिप्पणियां करते हुए न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने एजेंसी के कार्यों को “विच-हंट” (जानबूझकर निशाना बनाना) करार दिया। उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि दोनों आरोपी एक तरह से अवैध रूप से गिरफ्तार किए गए हैं।” अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को यह कहते हुए फटकार लगाई कि उसने गिरफ्तारी की असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल “बहुत लापरवाही से” किया था।
विशेष न्यायाधीश एम जी देशपांडे ने कहा कि राउत और उनके सह-आरोपी प्रवीण राउत को केंद्रीय एजेंसी द्वारा “बिना किसी कारण के” गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने कहा कि राउत के घर पर 31 जुलाई को छापा मारा गया था और उन्हें दिन भर कहीं भी नहीं जाने दिया गया। फिर उन्हें ईडी कार्यालय ले जाया गया और दिखाया यह गया कि 1 अगस्त को दोपहर 12.35 बजे गिरफ्तार किया गया। अदालत ने कहा कि उन्हें आधी रात को गिरफ्तार करने की कोई कानूनी आवश्यकता नहीं थी। न्यायधीश ने आगे कहा, “लेकिन ऐसा लगता है कि ईडी ने इसे नजरअंदाज कर दिया है। उनकी उपस्थिति समन के जरिए सुनिश्चित की जा सकती थी न कि उस तरीके से जिससे उन्हें देर रात गिरफ्तार किया गया था।
धन शोधन मामले में विशेष अदालत से जमानत मिलने के कुछ घंटे बाद शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के राज्यसभा सदस्य संजय राउत बुधवार शाम मुंबई की आर्थर रोड जेल से बाहर आए। शाम करीब पांच बजे राउत के वकीलों ने जमानत आदेश आर्थर जेल रोड पहुंचाया और करीब छह बजकर 50 मिनट पर राउत जेल से बाहर निकले। वह करीब तीन महीने से जेल में थे। राउत को जमानत देते समय धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए नामित विशेष न्यायाधीश एम.जी. देशपांडे ने ईडी को खूब फटकार लगाई। अदालत ने संजय राउत और प्रवीण राउत को “अवैध रूप से” गिरफ्तार करने के लिए तीखी फटकार लगाई गई।