लंदन। शोधकर्ताओं ने पाया है कि सिगरेट के बट्स को सड़कों और रास्ते में भरकर सुरक्षित तरीके से न सिर्फ बड़ी अपशिष्ट समस्या का समाधान कर सकते हैं, बल्कि शहरों में अर्बन हीट आईलैंड इफेक्ट को भी कम करने में मदद मिलेगी।
हर साल दुनियाभर में खरबों की तादात में सिगरेट बट्स का उत्पादन किया जाता है, जिसमें अधिकांश कचरे के रूप में पर्यावरण में जहर घोलने के लिए फेंक दी जाती हैं। इन सिगरेट बट्स को टूटने में कई साल लगते हैं और उनके विषैले रासायनिक लोड खाडी, नदियों और महासागरों में गिरते हैं।
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दिखाया कि डामर या बिटुमिन में सिगरेट बट्स को मिलाकर लगाकर हैवी ट्रैफिक की समस्या को हल किया जा सकता है और साथ ही तापीय चालकता (थर्मल कंडक्टिविटी) को भी कम कर सकते हैं। मेलबर्न स्थित आरएमआईटी विश्वविद्यालय के सीनियर लेक्चरर अब्बास मोहाजेरानी ने इसका विकल्प दिया है।
उन्होंने कहा कि मैं सिगरेट बट पॉल्यूशन की समस्या को हल करने के लिए बरसों से कोई टिकाऊ और व्यावहारिक तरीका खोजने की कोशिश कर रहा हूं। सिगरेट फिल्टर को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वे सैकड़ों जहरीले रसायनों को नियंत्रित कर सकें।
इन रसायनों को नियंत्रित करने के एकमात्र तरीका यह है कि हल्के एग्रीगेट्स बनाने के लिए प्रभावी तरीके से इनका इनकैप्सूलेशन किया जाए या ईंट बनाने में इस्तेमाल किया जाए। शोधकर्ताओं ने कहा हर साल करीब छह खरब सिगरेट बट्स का उत्पादन होता है।
इससे 12 लाख टन से ज्यादा सिगरेट बट्स कचरे का उत्पादन होता है। माना जा रहा है कि साल 2025 तक इस कचरे की मात्रा में 50 फीसद से अधिक की वृद्धि की उम्मीद है।