अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार एक लाख से ज्यादा सरकारी भर्तियां निकालने जा रही है, लेकिन अहम बात ये है कि सरकार के 55 में से 44 विभागों में तीन लाख से ज्यादा पद रिक्त पड़े हैं। इनमें 1 लाख 1 हजार 958 पद सिर्फ स्टेट कैडर के हैं, जबकि अनुमान है कि संभाग और जिला कैडर में यह संख्या दो लाख से ज्यादा होगी।
हालांकि 11 विभागों में एक भी पद खाली नहीं है। स्टेट कैडर में जो रिक्त पद निकले हैं, वे प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी कमिश्नर और कलेक्टरों को कहा है कि वे तत्काल जानकारी भेजें। तब तक राज्य स्तरीय कैडर के रिक्त पदों को भरने की कवायद शुरू की जाएगी। इसके लिए प्रक्रिया जल्द तय होगी। मंगलवार को मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने रिक्त पदों पर भर्तियों के लिए प्रक्रिया का रिव्यू किया। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि अगले महीने से प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
यहां वैकेंसी नहीं
अनुसूचित जाति कल्याण, आनंद, खेल और युवक कल्याण, घुमंतु और अर्द्ध घुमंतु जनजातीय विभाग, धार्मिक न्यास व धर्मस्व, नर्मदा घाटी विकास, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यटन, प्रवासी भारतीय, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन और लोक सेवा प्रबंधन विभाग में एक भी पद रिक्त नहीं है।
स्टेट कैडर में बैकलॉग के 21 हजार 96 पद खाली पड़े हैं
- ताजा आंकड़ों में सामने आया है कि सबसे ज्यादा 45 हजार 767 पद स्कूल शिक्षा में टीचर्स व सपोर्टिंग स्टॉफ के रिक्त हैं। इसमें कुल स्वीकृत पद 2 लाख 63 हजार 565 हैं, जबकि भरे हुए पदों की संख्या 2 लाख 17 हजार 798 हैं।
- स्टेट कैडर के कुल रिक्त पदों में बैकलॉग के ही 21 हजार 96 पद हैं। सर्वाधिक बैकलॉग भी स्कूल शिक्षा विभाग में 15 हजार 233 है। दूसरे नंबर पर जनजातीय कार्य विभाग में 1141 पद बैकलॉग के खाली हैं।
हाईकोर्ट का सरकार को निर्देश…
जिन्हें नौकरी में 24 साल हो गए, उन्हें दूसरा, जिनके 30 साल पूरे, उन्हें तीसरा वेतनमान दें
हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक शिक्षक की याचिका पर सरकार को आदेश दिया है कि जिन सरकारी कर्मचारियों को नौकरी करते हुए 24 साल हो गए हैं, उन्हें दूसरा और जिन्हें 30 साल हो गए हैं, उन्हें तीसरा समयमान वेतनमान दें। शिक्षक प्रकाश कवठेकर ने अधिवक्ता अर्चना उपाध्याय के माध्यम से यह याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि जिनकी सर्विस 30 साल की हो चुकी है, उनके लिए सरकार ने 29 जून 2018 को तीसरा समयमान वेतनमान देने के आदेश जारी किए थे, लेकिन इसका पालन ही नहीं हुआ। इसी तरह दूसरा समयमान वेतन दिए जाने के लिए शिक्षा विभाग में प्रेजेंटेशन भी दिया है, जिसमें हाई कोर्ट के द्वारा 2007 में दिए गए आदेश, शासन के नियमों का हवाला दिया था। इसका भी निराकरण नहीं किया गया।